प्रेरक वक्ता-उपन्यासकार और Infosys फाउंडेशन की अध्यक्ष सुधा मूर्ति जाएंगी राज्यसभा, ब्रिटेन के PM से है नाता
इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष और इन्फोसिस की को-फाउंडर नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति को राज्यसभा के लिए मानोनीत किया गया है। शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक्स हैंडल से पोस्ट कर इसकी जानकारी दी है। पीएम मोदी ने लिखा कि राज्यसभा में उनकी उपस्थिति हमारी नारी शक्ति का एक मजबूत प्रमाण है।
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष और इन्फोसिस की को-फाउंडर नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति को राज्यसभा के लिए मानोनीत किया गया है। शुक्रवार को 'अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस' के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 'एक्स' हैंडल से पोस्ट कर इसकी जानकारी दी है। पीएम मोदी ने लिखा कि राज्यसभा में उनकी उपस्थिति हमारी 'नारी शक्ति' का एक मजबूत प्रमाण है। यह दर्शाता है कि महिलाएं हमारे देश के भविष्य को बनाने में कितनी मजबूत और सक्षम हैं।
Thank you, Hon'ble Prime Minister Shri @narendramodi Ji. It is my privilege and honour to be nominated to the Rajya Sabha by our Hon'ble President of India Smt. Droupadi Murmu Ji @rashtrapatibhvn. I am very grateful for the opportunity to serve our nation. 🙏🏽
— Smt. Sudha Murty (@SmtSudhaMurty) March 8, 2024
|| परोपकारार्थं इदं… https://t.co/VgZ12ApSoX
जानिए सुधा मूर्ति के बारे में
सुधा मूर्ति (उर्फ नी कुलकर्णी) प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और लेखिका हैं। सुधा मूर्ति ने आठ उपन्यास लिखे हैं। वह भारत की सबसे बड़ी ऑटो निर्माता इंजीनियरिंग और लोकोमोटिव कंपनी टेल्को में काम करने वाली पहली महिला इंजीनियर भी हैं। इतना ही नहीं, इंजीनियरिंग की शिक्षिका भी हैं। उन्होंने कन्नड़, मराठी और अंग्रेजी भाषा में कई किताबें लिखी हैं, जो काफी प्रसिद्ध है।
सुधा मूर्ति ने बीते साल ‘ग्रांडपेरेंट्स बैग ऑफ स्टोरीज’ नाम की एक कहानियों की किताब लिखी थी। इस किताब को पैंग्विन पब्लिकेशन ने छापा था, पिछले साल इस कहानियों की किताब पर एनिमेटेड वीडियोज बनाए गए थे। इन कहानियों में सुधा मूर्ति का भी एक एनिमेटेड किरदार रखा गया। सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में वह मुख्य रूप से अपने परोपकारी कार्यों के लिए जानी जाती हैं।
यह भी पढ़ें: National Creators Award List: 1.5 लाख नॉमिनेशन और चुने गए 23 विजेता; इन क्रिएटर्स को किस-किस कैटेगरी में मिला अवॉर्ड
सुधा मूर्ति: जन्म, परिवार, प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
सुधा मूर्ति का जन्म उत्तरी कर्नाटक में हावेरी के शिगगांव में 19 अगस्त 1950 को हुआ था। सुधा के पिता का नाम आर.एच कुलकर्णी और माता विमला कुलकर्णी है। उन्होंने बीवीबी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, हुबली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया। सुधा इंजीनियरिंग कॉलेज में 150 स्टूडेंट्स के बीच दाखिला पाने वाली पहली महिला थीं। जब वह क्लास में प्रथम आईं तो कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने उन्हें पदक से सम्मानित किया। बाद में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स की डिग्री ग्रहण की।सुधा मूर्ति: करियर
सुधा मूर्ति ने TELCO के तत्कालीन चेयरमैन को पोस्टकार्ड लिखकर कंपनी में लैंगिक भेदभाव की शिकायत की थी। इसके बाद, उनका साक्षात्कार लिया गया और उन्हें तुरंत नौकरी पर रख लिया गया। वह भारत की सबसे बड़ी ऑटो निर्माता टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी (TELCO) में नियुक्त होने वाली पहली महिला इंजीनियर बन गईं। उनकी पहली पोस्टिंग पुणे में एक डेवलपमेंट इंजीनियर के रूप में हुई थी और बाद में उन्हें मुंबई और जमशेदपुर में पोस्ट किया गया था। उन्होंने पुणे में वालचंद इंडस्ट्रीज ग्रुप के साथ वरिष्ठ सिस्टम विश्लेषक के रूप में भी काम किया।
वर्ष 1996 में उन्होंने इन्फोसिस फाउंडेशन की स्थापना की और वर्तमान में संगठन की अध्यक्ष हैं। वह बेंगलुरु यूनिवर्सिटी में विजिटिंग प्रोफेसर भी हैं। इसके अलावा, वह क्राइस्ट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी थीं। इन्फोसिस फाउंडेशन ने दो संस्थानों का उद्घाटन किया - आईआईटी कानपुर में एच.आर. कदीम दीवान बिल्डिंग और एनएलएसआईयू में नारायण राव मेलगिरि मेमोरियल नेशनल लॉ लाइब्रेरी।
जब हुई इंफोसिस की शुरुआत
एक समय जब नारायण मूर्ति ने अपने घर से ही इन्फोसिस कंपनी की शुरुआत की, उस समय सुधा मूर्ति वालचंद ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज में सीनियर सिस्टम एनालिस्ट के तौर पर काम करती थीं। इसके साथ ही वे इन्फोसिस से भी जुड़ी थीं और कंपनी को आगे बढ़ाने में पूरा सहयोग दिया। इन्फोसिस लिमिटेड एक इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सर्विसेज कंपनी है और ये कम्पनी देश-विदेश में आईटी फील्ड के लिए जानी जाती है। यह भी पढ़ें: Sudha Murty: उद्योगपति नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए मनोनीत, PM मोदी ने खुद किया एलानसुधा मूर्ति क्यों नहीं बनीं इन्फोसिस की फाउंडर
सुधा मूर्ति ने पति नारायण मूर्ति को अपनी कंपनी की स्थापना करने में पूरा सहयोग दिया, लेकिन वो खुद उस कंपनी में काम नहीं करती थीं। इसकी एक वजह यही थी कि नारायण मूर्ति चाहते थे कि दोनों में से कोई एक ही इस कंपनी में काम करे। उस समय सुधा मूर्ति ने पति को इस कंपनी की पूरी जिम्मेदारी सौंप दी और खुद घर संभालने का निर्णय लिया। सुधा मूर्ति ने बच्चों की परवरिश के लिए अपना पूरा योगदान दिया और उन्होंने परिवार को अहमियत दी। जब नारायण मूर्ति जी अपनी कंपनी स्थापित करने के लिए घर से बाहर होते थे, उस समय सुधा मूर्ति घर संभालती थीं।सुधा मूर्ति को मिले पुरस्कार
- इंजीनियरिंग की सभी शाखाओं के एमटेक में प्रथम रैंक हासिल करने पर उन्हें इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स से स्वर्ण पदक मिला।
- कर्नाटक के मुख्यमंत्री देवराज अर्स से कर्नाटक के सभी इंजीनियरिंग विश्वविद्यालयों के बीई में उच्चतम अंक हासिल करने के लिए उन्हें स्वर्ण पदक मिला।
- एसएसएलसी में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर उन्हें नकद पुरस्कार मिला।
- कर्नाटक विश्वविद्यालय परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए उन्हें सी एस देसाई पुरस्कार मिला।
- कर्नाटक के उत्कृष्ट इंजीनियरिंग छात्र होने के लिए कर्नाटक सरकार की ओर से उन्हें युवा सेवा विभाग पुरस्कार मिला।
- सुधा मूर्ति को 1995 में रोटरी क्लब ऑफ कर्नाटक की ओर से 1995 में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक का पुरस्कार मिला।
- समाज की उत्कृष्ट सामाजिक सेवा के लिए पब्लिक रिलेशन सोसायटी ऑफ इंडिया की ओर से राष्ट्रीय पुरस्कार से उन्हें नवाजा गया।
- कन्नड़ में उनकी तकनीकी पुस्तक (शाले मक्कालिगागी कंप्यूटर _ जिसका अर्थ है स्कूली बच्चों के लिए कंप्यूटर) के लिए 'अत्तिमब्बे' पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- रोटरी साउथ - हुबली द्वारा उत्कृष्ट सामाजिक सेवा के लिए उन्हें पुरस्कार दिया गया।
- साहित्य एवं सामाजिक कार्य के क्षेत्र में उपलब्धि के लिए वर्ष 2000 में 'कर्नाटक राज्योत्सव' राज्य पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया।
- 2001 में उत्कृष्ट सामाजिक कार्यों के लिए उन्हें वर्ष 2000 का 'ओजस्विनी' पुरस्कार मिला।
- इसके अलावा, 'मिलेनियम महिला शिरोमणि' पुरस्कार से भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।
- 2004 में चेन्नई में राजा-लक्ष्मी फाउंडेशन द्वारा राजा-लक्ष्मी पुरस्कार से सुधा मूर्ति को सम्मानित किया गया।
- 2006 में उन्हें आर.के. भी प्राप्त हुआ। साहित्य के लिए नारायण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- 15- 2011 में मूर्ति को भारत में औपचारिक कानूनी शिक्षा और छात्रवृत्ति को बढ़ावा देने में उनके योगदान के लिए मानद एलएल.डी (डॉक्टर ऑफ लॉ) की डिग्री प्रदान की गई थी।
- 2013 में बसवेश्वरा मेडिकल कॉलेज सभागार में समाज में उनके योगदान के लिए नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति को बसवा श्री-2013 पुरस्कार प्रदान किया गया। बसवा श्री पुरस्कार में एक पट्टिका और 5 लाख का चेक शामिल है, सुधा मूर्ति ने मठ द्वारा संचालित एक अनाथालय को पुरस्कार राशि सौंपी।
- 2018 में मूर्ति को क्रॉसवर्ड-रेमंड बुक अवार्ड्स में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला।
- 2019 में सुधा मूर्ति को टेलीविजन से "हेमेया-कन्नडिगा" पुरस्कार मिला। 2019: आईआईटी कानपुर ने उन्हें डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि (मानद उपाधि) से सम्मानित किया।
- सेवा कार्यों के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें पद्मश्री से नवाजा था और 2023 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित करने की घोषणा की गई है।
पीएम ऋषि सुनक की सास हैं सुधा मूर्ति
सुधा मूर्ति ने पुणे में टेल्को में एक इंजीनियर के रूप में कार्यरत होने के दौरान एनआर नारायण मूर्ति से शादी की। दंपती के दो बच्चे हैं, जिसमें एक बेटा और एक बेटी है। बेटी का नाम अक्षता है और बेटे का नाम रोहन है। अक्षता ने स्टैनफोर्ड के अपने सहपाठी और ब्रिटेन के वर्तमान प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से शादी की है। लिज ट्रस के 7 सप्ताह में इस्तीफा देने और ब्रिटेन में सबसे कम समय तक शासन करने वाले प्रधानमंत्री बनने के बाद ऋषि सुनक ने शासन अपने हाथों में ले लिया और अक्टूबर 2022 में ब्रिटेन के पहले भारतीय मूल के प्रधानमंत्री बनकर इतिहास रच दिया।सुधा मूर्ति ने अपने दामाद के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने पर कहा कि वह सुनक की सफलता से खुश हैं और उन्हें शुभकामनाएं दीं। जेआरडी टाटा ने सुधा मूर्ति से कहा कि वह याद रखें कि कोई भी पैसे का मालिक नहीं है। आप पैसे के एकमात्र ट्रस्टी हैं और यह हमेशा हाथ बदलता है। जब आप सफल होते हैं, तो इसे उस समाज को वापस दें, जिसने आपको इतनी सद्भावना दी है।सुधा मूर्ति की सामाजिक गतिविधियां
1996 में सुधा मूर्ति ने एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की। ट्रस्ट ने अब तक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 2,300 से ज्यादा घर बनाए हैं। उनके पास प्रत्येक स्कूल के लिए एक पुस्तकालय का भी सपना है और अब तक उन्होंने 70,000 से अधिक पुस्तकालय स्थापित किए हैं।उनके संगठन ने अब तक 16,000 से अधिक सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण भी कराया है। सेवा कार्यों के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें पद्मश्री से नवाजा था और अब 2023 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित करने की घोषणा की गई है।सुधा मूर्ति की किताबें
सुधा मूर्ति ने अब तक कई पुस्तकें प्रकाशित की हैं, मुख्यतः पैंग्विन पब्लिकेशन के माध्यम से उनकी किताबें प्रकाशित हुई हैं।कन्नड़ भाषा में पुस्तकें
- डॉलर सोसे
- रूना
- कावेरी इंडा मेकांगीगे
- हक्किया तेराडाल्ली
- अथिरिकथे
- गुटोंडु हेलुवे
- महाश्वेता
- तुमला
- नूनिया सहसगलु
- समन्यरल्ली असमन्यारु
- कंप्यूटर लोकादल्ली
- परिधि
- यशस्वी
- गुटोंडु हेलुवे
- अस्तित्व
- येरिलिटाडा दारियाल्ली
- सुखेसिनी मट्टू इतारा मक्कला कथगेलु
अंग्रेजी भाषा में पुस्तकें
- द मदर आई नेवर न्यू
- थ्री थाउजेंड स्टिचेस
- द मैन फ्रॉम द एग
- हियर,देयर एंड एवरीव्हेयर
- द मॅजिक ऑफ लोस्ट टेंपल
- मैंने अपनी दादी को पढ़ना कैसे सिखाया और अन्य कहानियां
- द ओल्ड मैन एंड हिज गुड
- डॉलर बहू
- वाइज एंड अदरवाइज़
- महाश्वेता
- डे आई स्टॉप्ड ड्रिंकिंग मिल्क
- द सर्पेंट रिवेंज
- जेंटली फाल्स द बकुला
- हाउस ऑफ कार्ड्स
- समथिंग हैपेंड ऑन द डे वे टू हेवन्स
- द मैजिक ड्रम एंड अदर फेवरिट स्टोरीज़
- द बर्ड्स विद द गोल्डन विंग्स
- हाउ द सी बिकम सॉल्टी
- द अपसाइड डाउन किं
- द डॉटर फ्रॉम ए विशिंग ट्री
- ग्रैंडमाज़ बैग ऑफ स्टोरीज़