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सुजाता ने मांगा था रिटायरमेंट

अमेरिका और चीन दोनों देशों में काम करने का अनुभव समेटे भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी एस. जयशंकर ने गुरुवार को नए विदेश सचिव के रूप में कार्यभार संभाला। इस मौके पर निवर्तमान विदेश सचिव सुजाता सिंह मौजूद नहीं थीं।

By Bhupendra SinghEdited By: Updated: Fri, 30 Jan 2015 11:04 AM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिका और चीन दोनों देशों में काम करने का अनुभव समेटे भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी एस. जयशंकर ने गुरुवार को नए विदेश सचिव के रूप में कार्यभार संभाला। इस मौके पर निवर्तमान विदेश सचिव सुजाता सिंह मौजूद नहीं थीं। हालांकि, बुधवार को अपने सहयोगियों को ई-मेल से संदेश दिया कि उन्होंने 38 साल के कार्यकाल के बाद खुद को दायित्व से मुक्त करने का सरकार से आग्रह किया था। अब सबकी नजरें अमेरिका के नए राजदूत के पद पर हैं जो जयशंकर के विदेश सचिव बनने के बाद खाली है।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गुरुवार को एस.जयशंकर को नया विदेश सचिव बनाने के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि उन्हें सरकार के इस फैसले के बारे में खुद ही सुजाता सिंह को जानकारी दी थी। सुषमा ने ट्वीट कर बताया कि सरकार की मंशा सुजाता सिंह का कार्यकाल सात माह पहले खत्म करना नहीं थी। बल्कि डॉ. जयशंकर 31 जनवरी को रिटायर हो रहे थे इसलिए इस तारीख से पहले उनकी नियुक्ति आवश्यक थी।

सुजाता के पिता थे सोनिया के करीबी :

अमेरिका में राजदूत से पहले जयशंकर चीन में भी इसी भूमिका में रहे हैं। उनकी राजनयिक क्षमताओं का लोहा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मानते थे। वह उन्हें तभी बतौर विदेश सचिव लाना चाहते थे, लेकिन तब सोनिया गांधी से सुजाता के पिता टी. राजेश्वर की नजदीकी उन पर भारी पड़ी थी। तब एस.जयशंकर को अमेरिका का राजदूत बनाकर भेजा गया था।

जयशंकर के कायल हैं मोदी :

सुजाता सिंह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोई नाराजगी नहीं थी। मगर मोदी जो चाहते थे, वह उन्हें जयशंकर में ही दिखा। इसीलिए सुजाता सिंह को सात माह पहले ही पद छोड़ने के लिए तैयार किया गया। उन्होंने खुद अपने विदेश सेवा के साथियों को लिखे पत्र में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की बात कही। सुजाता की गैरमौजूदगी में साउथ ब्लॉक में नई जिम्मेदारी संभालते हुए, जयशंकर ने कहा कि उनकी प्राथमिकता वही है, जो सरकार की प्राथमिकता है। वह इस जिम्मेदारी के लिए चुने जाने पर सम्मानित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने बाद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की।

जयशंकर क्षमतावान राजनयिक :

1977 बैच के भारतीय विदेश सेवा के टॉपर रहे एस. जयशंकर का कार्यकाल 31 जनवरी को खत्म हो रहा था। सरकार के नए फैसले के बाद वह दो साल तक विदेश सचिव के पद पर तैनात रहेंगे। 2013 में अमेरिका में भारतीय राजदूत के रूप में नियुक्त जयशंकर ने दोनों देशों के बीच की खाई पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने पिछले सितंबर में मोदी की अमेरिका यात्रा की तैयारी में भी बड़ी भूमिका निभाई थी। विदेश मंत्रालय में 2004-07 के बीच संयुक्त सचिव रहते हुए वह परमाणु संधि के वार्ताकारों में शामिल थे। वह चीन, सिंगापुर और चेक गणराज्य में राजदूत रहे। जयशंकर भारतीय विदेश नीति के अगुआ के. सुब्रह्मण्यम के बेटे हैं।

सुजाता की हमदर्द बनी कांग्रेस :

पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह को अचानक हटाए जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने मोदी सरकार को निशाना बनाया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह सुजाता सिंह को पदमुक्त किया गया ऐसे तो लोग घरेलू नौकर को भी नहीं हटाते।