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Sunita Williams को एलन मस्क का स्पेसक्राफ्ट क्यों ला रहा वापस, क्या ISRO कर सकता था ये मिशन? एस सोमनाथ ने दिया जवाब

NASA Astronaut Sunita Williams दो महीने से भी अधिक समय से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में फंसे सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर की वापसी का रास्ता साफ हो गया है। उन्हें स्पेसएक्स के स्पेसक्राफ्ट से वापस लाया जाएगा। इसरो चीफ से जब सवाल किया गया कि क्या भारत यह मिशन पूरा कर सकता था तो जानिए उन्होंने क्या जवाब दिया।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Sun, 25 Aug 2024 06:01 PM (IST)
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एक पॉडकास्ट में इसरो प्रमुख से इसे लेकर किया गया सवाल।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर की वापसी को लेकर चल रही रस्साकशी के बीच नासा ने स्पष्ट कर दिया है कि दोनों अंतरिक्षयात्रियों को स्पेसएक्स के क्रू-9 ड्रैगन कैप्सूल से वापस पृथ्वी पर लाया जाएगा। गौरतलब है कि सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर शुरुआथत में आठ दिनों के लिए एक मिशन पर बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा पर गए थे।

हालांकि, वहां पहुंचकर बोइंग के स्पेसक्राफ्ट में कुछ तकनीकी खामियां मिली, जिसके बाद उनकी पृथ्वी पर वापसी टल गई और फिलहाल वह 78 दिनों से भी अधिक समय से स्पेस स्टेशन में हैं। अब नासा ने स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन का उपयोग कर अगले साल फरवरी में उनकी वापसी निर्धारित की है। यह क्रू ड्रैगन अगले महीने लॉन्च होने वाला है।

क्या ISRO कर सकता था ये मिशन?

नासा ने विलियम्स और बैरी की वापसी के लिए एलन मस्क के स्पेसएक्स को चुना। क्या भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो भी उनकी वापसी का मिशन पूरा कर सकती थी। इसे लेकर हाल ही में एक पॉडकास्ट में इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ से सवाल किया गया था, जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि फिलहाल इसरो के पास इस तरह के मिशन को अंजाम देने की क्षमता नहीं है।

एस सोमनाथ ने कहा कि अभी हम कुछ नहीं कर सकते। हमारे पास कोई अंतरिक्ष यान नहीं है, जो वहां जाकर उन्हें बचा सके। यह संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि इस तरह के बचाव अभियान चलाने के लिए सक्षम अंतरिक्ष यान केवल अमेरिका और रूस के पास हैं।

बैरी विल्मोर और सुनीता विलियम्स (Photo- Reuters)

'स्टारलाइनर में लॉन्चिंग के वक्त भी थी खामियां'

एस सोमनाथ ने बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट को लेकर कहा कि इसमें कुछ खामियां दिखीं। इसलिए नासा जोखिम नहीं लेना चाहता था, क्योंकि जाने की तुलना में वापसी अधिक खतरनाक है और स्टारलाइनर ने लॉन्च से पहले भी कुछ दिक्कतों का सामना किया था, जिस वजह से मिशन को कई बार स्थगित करना पड़ा था।