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    'आधार कोई पक्का सबूत नहीं', SIR पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला; कपिल सिब्बल का ये तर्क भी नहीं आया काम

    Updated: Tue, 12 Aug 2025 07:56 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड निवास का अंतिम प्रमाण नहीं है खासकर बिहार में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया में। अदालत ने कहा कि आधार राशन कार्ड या मतदाता पहचान पत्र किसी क्षेत्र में रहने का प्रमाण हो सकते हैं लेकिन निर्णायक सबूत नहीं। अदालत ने चुनाव आयोग को त्रुटियों को सुधारने का भी निर्देश दिया है।

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    सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिहार में आधार कार्ड निवास का पक्का सबूत नहीं (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि आधार कार्ड को निवास का अंतिम और पक्का सबूत नहीं माना जा सकता है। खासकर, बिहार में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के दौरान।

    सीनियर वकील कपिल सिब्बल सर्वोच्च न्यायालय में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता मनोझ झा की तरफ से पेश हुए थे, उन्होंने कहा कि लोग आधार, राशन और मतदाता पहचान पत्र (EPIC) रखते हैं। लेकिन, अधिकारी इसे किसी भी चीज का पक्का सबूत नहीं मान रहे हैं।

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    'आधार निर्णायक सबूत नहीं'

    इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ये दस्तावेज यह दिखा सकते हैं कि आप किसी क्षेत्र में रहते हैं, लेकिन इन्हें निर्णायक सबूत नहीं कहा जा सकता है। सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया कि मतदाता सूची में कई विसंगतियां हैं, जैसे जिन लोगों को मृत बताया गया वे जिंदा हैं और जिनकों जिंदा बताया गया वे मृत भी पाए गए हैं।

    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की पीठ ने कहा कि यह विवाद चुनाव आयोग और विपक्ष के बीच भरोसे की कमी के कारण बढ़ा है। जस्टिस कांत ने यह भी कहा कि यह कहना बहुत व्यापक होगा कि बिहार में किसी के पास वैध दस्तावेज ही नहीं है।

    चुनाव आयोग के वकील का तर्क

    चुनाव आयोग के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि इस तरह के बड़े पैमाने के काम में कुछ त्रुटियां होना स्वाभाविक है, लेकिन इन्हें 30 सितंबर को अंतिम सूची जारी होने से पहले सुधारा जा सकता है।

    बता दें, विपक्षी नेताओं और सामाजिक संगठनों ने 24 जून को चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी थी। 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर बड़े पैमाने पर वोटरों को बाहर किया गया, तो वह तुरंत हस्तक्षेप करेगा।

    क्या है विपक्ष की चिंता?

    बता दें, 1 अगस्त को मसौदामतदाता सूची जारी की गई है, जबकि अंतिम सूची 30 सितंबर को आएगी। इस पर विपक्ष का कहना है कि इस प्रक्रिया से करोड़ों वैध मतदाता मताधिकार से वंचित हो सकते हैं। याचिकाएं RJD, TMC, कांग्रेस, NCP (शरद पवार), CPI, शिवसेना (उद्धव ठाकरे), JMM, CPI (ML) के साथ PUCL, ADR और योगेंद्र यादव ने मिलकर दायर की है।

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