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माल्या के खिलाफ अवमानना का मामला 24 फरवरी तक स्थगित, सुप्रीम कोर्ट ने दिया पेशी का आखिरी मौका

सुप्रीम कोर्ट ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ अवमानना का मामला 24 फरवरी के लिए स्थगित कर दिया है। अदालत ने माल्‍या को व्यक्तिगत रूप से या वकील के माध्यम से पेश होने के लिए अंतिम मौके के रूप में दो हफ्ते का समय दिया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Thu, 10 Feb 2022 10:56 PM (IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या के खिलाफ अवमानना का मामला 24 फरवरी के लिए स्थगित कर दिया है।

नई दिल्ली, आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों द्वारा दाखिल अवमानना मामले में सजा सुनाने से पहले गुरुवार को भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को अपने समक्ष पेश होने का अंतिम मौका प्रदान किया। इस मामले में माल्या को दोषी पाया गया था। जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस. रविंद्र भट की पीठ ने कहा कि अदालत ने माल्या को अवमानना का दोषी पाया है और उसे दंड सुनाना होगा। सामान्य तर्क के आधार पर अवमानना करने वाले का पक्ष सुना जाना चाहिए लेकिन वह अभी तक अदालत के समक्ष पेश नहीं हुआ है।

न्यायमित्र जयदीप गुप्ता ने कहा कि मामले को यह कहते हुए थोड़े समय के लिए स्थगित किया जा सकता है कि यह आखिरी मौका हो सकता है। जस्टिस भट ने टिप्पणी की कि माल्या अभी तक सुनवाई से अनुपस्थित रहा है और अगली सुनवाई में भी यही होगा। तब अदालत को उसकी अनुपस्थिति में सजा सुनानी पड़ेगी। जस्टिस ललित ने कहा कि उसे कई मौके दिए गए थे।

पिछली सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा था कि उसने काफी लंबा इंतजार किया है। विजय माल्या को अदालत की अवमानना के मामले में सजा देने की प्रक्रिया अब खत्म होनी चाहिए। बता दें कि इस मामले में माल्‍या (Vijay Mallya) को जुलाई 2017 में दोषी ठहराया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को जल्‍द निपटाने के लिए तय किया है। यदि माल्‍या (Vijay Mallya) की ओर से कोई संतोषजनक प्रतिक्रिया सामने नहीं आती तो शी‍र्ष अदालत भगोड़े व्यवसायी माल्या को सजा तय कर सकती है।

शीर्ष अदालत ने कहा था कि अब यह माल्या (Vijay Mallya) पर निर्भर है कि वह व्यक्तिगत रूप से पेश होता है या अपने वकील के जरिए दलीलें पेश करता है। काफी समय बीत चुका है ऐसे में अब मामले को सामने लाया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले को 2017 से स्थगित किया जा रहा है। शीर्ष अदालत की ओर से माल्या (Vijay Mallya) को बार-बार निर्देश देने के बावजूद बैंकों को 9,000 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान नहीं करने के लिए अवमानना का दोषी पाया गया था।