Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

बुलडोजर एक्शन से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'देश कानून से चलता है; पूरे देश के लिए दिशा-निर्देश तय करेंगे'

कोर्ट ने कहा कि किसी अपराध में आरोपित होना संपत्ति ध्वस्तीकरण का आधार नहीं हो सकता। उस कथित अपराध को कानूनी प्रक्रिया के जरिये अदालत में साबित किया जाना चाहिए। कोर्ट इस तरह की ध्वस्तीकरण की धमकियों से बेखबर नहीं रह सकता। उस राष्ट्र में ये अकल्पनीय है जहां कानून सर्वोच्च है। अन्यथा ऐसी कार्रवाई को देश के कानून पर बुलडोजर चलना माना जाएगा।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Thu, 12 Sep 2024 11:30 PM (IST)
Hero Image
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर की बड़ी टिप्पणी। (File Photo)

माला दीक्षित, नई दिल्ली। किसी अपराध में आरोपित के घर पर बुलडोजर चलाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सख्त रुख अख्तियार किया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि जहां देश कानून से चलता है, वहां परिवार के किसी सदस्य द्वारा कानून का उल्लंघन करने पर अन्य सदस्यों के विरुद्ध या उनके कानूनी ढंग से बनाए गए घर पर कार्रवाई नहीं हो सकती। ये टिप्पणी जस्टिस हृषिकेश राय, सुधांशु धूलिया और एसवीएन भट्टी की पीठ ने गुजरात के एक मामले में दिए अंतरिम आदेश में गुरुवार की।

गुजरात सरकार को नोटिस जारी

कोर्ट ने परिवार के एक सदस्य के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज होने पर साझे का पारिवारिक घर ढहाए जाने की आशंका जताने वाली याचिका पर गुजरात सरकार को नोटिस जारी करते हुए संपत्ती पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं। दस दिन में यह दूसरा मौका है जब शीर्ष अदालत ने किसी आरोपित के घर बुलडोजर चलाने को लेकर ऐसी टिप्पणी की है।

आरोपितों के घरों पर बुलडोजर चलाने की शिकायतें

दो सितंबर को भी कोर्ट ने जमीयत उलमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई के दौरान ऐसी टिप्पणी की थी। उस याचिका में देश के विभिन्न हिस्सों में आरोपितों के घरों पर बुलडोजर चलाने की शिकायतें की गई हैं। जिस पर जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा था कि वह इस संबंध में पूरे देश के लिए दिशा-निर्देश तय करेंगे।

घर पर बुलडोजर चलाने का आधार नहीं

कोर्ट ने सभी पक्षों को इस संबंध में सुझाव देने को कहा था। उस मामले में 17 सितंबर को सुनवाई होगी। हालांकि जमीयत की याचिका में पक्षकार उत्तर प्रदेश सरकार ने हलफनामा दाखिल कर स्पष्ट किया था कि किसी अपराध में सिर्फ आरोपित होना घर पर बुलडोजर चलाने का आधार नहीं हो सकता। सिर्फ म्यूनिसिपल कानून के तहत कानूनी प्रक्रिया से अवैध निर्माण के विरुद्ध कार्रवाई की जाती है। तब कोर्ट ने इस बात की सराहना की थी।

बुलडोजर कार्रवाई के आरोप

उत्तर प्रदेश का रुख इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि उसी पर सबसे ज्यादा बुलडोजर कार्रवाई के आरोप लगते हैं।गुरुवार को कोर्ट के सामने गुजरात में खेड़ा जिले के कठलाल गांव का मामला था जिसमें याचिकाकर्ता जावेद अली महबूब मियां सैयद ने पारिवारिक घर को ध्वस्तीकरण से बचाने की मांग की है।

घर को गिराने की धमकी

याचिकाकर्ता के वकील इकबाल सैयद ने कहा कि उनके घर का निर्माण कानून के मुताबिक हुआ है और पिछले करीब दो दशक से उनके परिवार की तीन पीढ़ियां उसमें रह रही हैं। एक सितंबर को परिवार के एक सदस्य के विरुद्ध एफआइआर दर्ज हुई है जिसके बाद से म्युनिसपल अथॉरिटी घर को गिराने की धमकी दे रही है।

कोर्ट ने दिशा-निर्देश देने की बात कही

वकील ने कहा कि उनके कानूनी ढंग से निर्मित घर को नहीं ढहाया जा सकता। इस संबंध में उन्होंने कोर्ट के दो सितंबर के आदेश का हवाला दिया जिसमें इसी तरह आरोपितों के घरों पर बुलडोजर चलाने की आशंकाओं को उठाया गया था और कोर्ट ने दिशा-निर्देश देने की बात कही थी।

यह भी पढ़ें: बुलडोजर एक्शन पर योगी सरकार के जवाब से सुप्रीम कोर्ट खुश, तारीफ में क्या कहा?