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Supreme Court: 'स्कूलों में मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता की जमीनी स्थिति पर गौर करे सरकार', केंद्र से बोला सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से नीति लागू करने से पहले स्कूलों में मासिक धर्म स्वच्छता पर जमीनी स्थिति से संबंधित याचिकाकर्ता द्वारा उजागर किए गए पहलुओं को स्पष्ट करने को कहा है। जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने 12 नवंबर को सुनवाई के दौरान एडिशनल सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि वे याचिकाकर्ता द्वारा उजागर किए गए पहलुओं पर गौर करें।

By Agency Edited By: Jeet Kumar Updated: Sun, 17 Nov 2024 01:37 AM (IST)
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SC ने केंद्र से स्कूलों में मासिक धर्म स्वच्छता पर जमीनी स्थिति पर गौर करने को कहा (फोटो- एएनआई)
एएनआइ, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि वह मासिक धर्म स्वच्छता संबंधी नीति को लागू करने से पहले स्कूलों में इसकी जमीनी स्थिति से संबंधित पहलुओं को स्पष्ट करे। जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने 12 नवंबर को सुनवाई के दौरान एडिशनल सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि वे याचिकाकर्ता द्वारा उजागर किए गए पहलुओं पर गौर करें और अगली सुनवाई तक स्थिति स्पष्ट करें। मामले की अगली सुनवाई तीन दिसंबर को होगी।

सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत को सूचित किया गया कि केंद्र सरकार ने स्कूलों में छात्राओं के लिए मासिक धर्म स्वच्छता के संबंध में राष्ट्रीय नीति तैयार की है। एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि नीति के उचित और प्रभावी कार्यान्वयन के लिए अब भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

सरकार  ने बिना आंकलन के बनाई नीति

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि तैयार की गई नीति में किसी भी तरह से याचिका में मांगी गई राहतों का खयाल नहीं रखा गया है। याचिकाकर्ता के वकील ने इस बात पर प्रकाश डाला कि नीति आवश्यक जानकारी प्राप्त किए बिना या जमीनी स्थिति का आकलन किए बिना तैयार की गई है।

याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत के ध्यान में लाया कि याचिकाकर्ता की हाल ही में जिला दमोह, मध्य प्रदेश की यात्रा के दौरान, याचिकाकर्ता ने पाया कि स्कूलों में कोई चपरासी नहीं थे और सरकारी मध्य विद्यालयों में हाउसकीपिंग जैसी कोई चीज नहीं थी।

मध्य प्रदेश के कई स्कूलों में जाकर देखी स्थिति, काफी गंभीर- याचिकाकर्ता

याचिकाकर्ता ने विभिन्न जिलों में रहने वाले विभिन्न लोगों से भी पूछताछ की और पाया कि स्थिति बहुत गंभीर थी। याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि मध्य प्रदेश के जिला दमोह में, विशेष रूप से मध्य विद्यालयों (12 से 15 वर्ष के बीच) में सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने की कोई सुविधा नहीं है और यदि किसी लड़की को इसकी आवश्यकता होगी, तो स्कूल से लड़की को जाने के लिए कह दिया जाता है।

अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कक्षा 6 से 12 तक पढ़ने वाली लड़कियों को मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने के लिए सरकारों को निर्देश जारी करने की मांग की गई थी। यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता जया ठाकुर ने वकील वरिंदर कुमार शर्मा और वरुण ठाकुर के माध्यम से दायर की है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि मासिक धर्म स्वच्छता को लेकर लड़कियां जागरूक नहीं

याचिकाकर्ता ने कहा कि गरीब पृष्ठभूमि से आने वाली 11 से 18 साल की किशोरियों को गंभीर कठिनाई का सामना करना पड़ता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि ये किशोरी मासिक धर्म और मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती हैं और माता-पिता द्वारा भी उन्हें शिक्षित नहीं किया गया है। यही कारण हैं कि उनको गंभीर स्वास्थ्य परिणाम होते हैं।