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बच्चों की सगाई कराना भी होगा गैरकानूनी? सुप्रीम कोर्ट ने संसद से विचार करने को कहा

Supreme Court सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बाल विवाह से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई की जिसमें कोर्ट ने कई अहम टिप्पणियां की। कोर्ट ने कहा कि बचपन में शादी तय होने से जीवन साथी चुनने चुनने की स्वतंत्रता छिन जाती है। साथ ही उसने नाबालिगों की सगाई करने की प्रवृति को रोकने की जरूरत बताई है। इसके लिए कोर्ट ने संसद से कानून बनाने पर विचार करने को कहा है।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Fri, 18 Oct 2024 10:44 PM (IST)
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कोर्ट ने बाल विवाह रोकने के लिए हर राज्य में अधिकारी नियुक्त करने के दिए निर्देश। (File Image)

माला दीक्षित, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बाल विवाह को सामाजिक बुराई बताते हुए बाल विवाह रोकने के लिए विस्तृत दिशा निर्देश जारी किये हैं। कोर्ट ने बाल विवाह निरोधक कानून में सजा से बचने के लिए नाबालिगों की सगाई करने की प्रवृति को रोकने की जरूरत बताई है। दरअसल, सगाई पर अभी रोक नहीं है।

ऐसे में इसकी आड़ में शादी का आयोजन रचा जा सकता है। सर्वोच्च अदालत ने बाल विवाह को बच्चों के स्वास्थ्य, विकास के साथ साथ पसंद का जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्रता का भी उल्लंघन बताया। हालांकि, बाल विवाह निरोधक कानून सभी पर्सनल लॉ (विभिन्न धर्मों की निजी विधियों) के ऊपर होगा कि नहीं इस पर कोर्ट ने यह कहते हुए कोई राय या आदेश नहीं दिया है कि मामला संसद में विचाराधीन है।

राज्यों को अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश

बाल विवाह पर यह अहम फैसला प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जेबी पार्डीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने गैर सरकारी संगठन सोसाइटी फॉर एनलाइटेनमेंट एंड वालेंटरी एक्शन की याचिका पर दिया है। 141 पेज के फैसले में कोर्ट ने कहा कि बाल विवाह रोकने के लिए सभी के मिल कर काम करने की जरूरत है और केंद्र को राज्यों को निर्देश दिया कि बाल विवाह रोकने के लिए विशेष तौर पर अधिकारी नियुक्त करें।

कोर्ट ने कहा कि इन अधिकारियों पर कोई और जिम्मेदारी नहीं डाली जाएगी, ये सिर्फ बाल विवाह रोकने पर ध्यान देंगे। कोर्ट ने फैसले के अंत में केंद्र सरकार और संसद को कुछ सुझाव भी दिये हैं। कहा गया है कि बाल विवाह निरोधक कानून, केंद्रीय कानून है। संविधान में मिले बच्चों के अधिकारों को देखते हुए इसमें कुछ कमियां हैं, लेकिन किसी भी पक्ष ने कानून को चुनौती नहीं दी थी और न ही इस पर कोई बहस हुई, इसलिए कोर्ट उन पर कोई आदेश नहीं दे रहा है परन्तु केंद्र को इसकी जांच करने का सुझाव दे रहा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इस संबंध में कानूनी मुद्दे भविष्य में उचित केस में तय करने के लिए खुले रहेंगे।

छिनता है पसंद का जीवन साथी चुनने का अधिकार

कोर्ट ने कहा कि कानून में बाल विवाह पर रोक है, लेकिन बच्चों की सगाई पर रोक नहीं है। बचपन में शादी तय होने से पसंद का जीवनसाथी और जीवनपथ चुनने की स्वतंत्रता परिपक्व होने से पहले ही छिन जाती है। कोर्ट ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून जैसे सीइडीएडब्लू बच्चों की सगाई के खिलाफ है।

शीर्ष अदालत ने कहा है कि संसद बच्चों की सगाई को गैरकानूनी बनाने पर विचार कर सकती है, क्योंकि बाल विवाह निरोधक कानून में सजा से बचने के लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा है कि जिस बच्चे की सगाई हुई हो उसे जुविनाइल जस्टिस कानून के तहत देख भाल दी जा सकती है। कोर्ट ने बच्चों की सगाई के प्रचलन को खतम करने के उपाय की जरूरत बताई है।