'कन्नूर विश्वविद्यालय के वीसी को फिर से नियुक्त करने का फैसला रद्द', सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के आदेश में गलती पाई
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केरल के कन्नूर विश्वविद्यालय के वीसी को बड़ा झटका दिया। शीर्ष कोर्ट ने गोपीनाथ रवींद्रन को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद भी कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में फिर से नियुक्त करने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दिया। साथ ही कोर्ट ने इस मामले में रवींद्रन के अनुचित तरीके से हस्तक्षेप करने की आलोचना की।
By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Thu, 30 Nov 2023 03:07 PM (IST)
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केरल के कन्नूर विश्वविद्यालय के वीसी को बड़ा झटका दिया। शीर्ष कोर्ट ने गोपीनाथ रवींद्रन को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद भी कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में फिर से नियुक्त करने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दिया। साथ ही कोर्ट ने इस मामले में रवींद्रन के अनुचित तरीके से हस्तक्षेप करने की आलोचना की।
इस मामले की चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की। पीठ ने गोपीनाथ रवींद्रन को वीसी के पद पर दोबारा नियुक्त करने के कुलाधिपति और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के आदेश में गलती पाई। पीठ ने रवींद्रन की दोबारा नियुक्ति को बरकरार रखने वाले केरल हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया।
राज्यपाल राज्य में विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होते हैं
बता दें कि राज्यपाल किसी भी राज्य में विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होते हैं। राज्यपाल कुलाधिपति के रूप में सभी विश्वविद्यालय के मामलों पर निर्णय लेने में मंत्रिपरिषद से स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं।दोबारा नियुक्ति का फैसला बाहरी विचारों से प्रभावित
पीठ ने कहा, "हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अगर रवींद्रन को कुलपति के पद पर फिर से नियुक्त करने की अधिसूचना कुलाधिपति द्वारा जारी की गई थी, फिर भी दोबारा नियुक्ति का फैसला बाहरी विचारों से या दूसरे शब्दों में कहें तो राज्य सरकार के अनुचित हस्तक्षेप से प्रभावित था।" पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे।हाई कोर्ट का फैसला रद्द
शीर्ष कोर्ट ने कहा, "हाई कोर्ट के 23 फरवरी, 2022 को पारित किए गए आदेश को रद्द कर दिया गया है और इसके परिणामस्वरूप, 23 नवंबर, 2021 को रवींद्रन को कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में फिर से नियुक्त करने के फैसले को भी रद्द किया जाता है"ये भी पढ़ें: 'मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर वाला स्थानांतरण आदेश तब तक वैध नहीं...', कर्नाटक HC ने बिना तर्क के निचले कैडर की नियुक्ति पर कहा