सुप्रीम कोर्ट में जन प्रतिनिधित्व कानून के प्रावधान को दी चुनौती, राहुल गांधी की गई है संसद सदस्यता
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। यह याचिका दोषी ठहराए जाने के बाद निर्वाचित विधायी निकायों के प्रतिनिधियों को स्वत अयोग्य ठहराने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है। इस याचिका में जनप्रतिनिधियों के अधिनियम की धारा 8(3) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।
By AgencyEdited By: Mohd FaisalUpdated: Sat, 25 Mar 2023 12:40 PM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। यह याचिका दोषी ठहराए जाने के बाद निर्वाचित विधायी निकायों के प्रतिनिधियों को स्वत: अयोग्य ठहराने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है। इस याचिका में जनप्रतिनिधियों के अधिनियम की धारा 8(3) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।
Petition filed in Supreme Court challenging automatic disqualification of representatives of elected legislative bodies after conviction. The plea challenges the constitutional validity of Section 8(3) of the Representatives of People's Act.
The plea seeks direction that… pic.twitter.com/eCCpz8Vr8Q
— ANI (@ANI) March 25, 2023
याचिका में क्या कहा
याचिका में यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि धारा 8(3) के तहत प्रतिनिधियों को दोषी पाए जाने के बाद उन्हें अपने आप अयोग्य घोषित नहीं किया जाना चाहिए।आभा मुरलीधरन ने दायर की याचिका
सामाजिक कार्यकर्ता और पीएचडी विद्वान आभा मुरलीधरन द्वारा दायर याचिका में धारा 8 (3) के तहत स्वत: अयोग्यता की घोषणा करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है और इसे मनमाना और अवैध होने के लिए संविधान के अति-विशिष्ट घोषित किया जाना चाहिए।
याचिका में की गई ये मांग
वकील दीपक प्रकाश के माध्यम से दायर याचिका में शीर्ष अदालत से कहा गया है कि वह यह घोषणा करने के लिए निर्देश जारी करे कि भारतीय दंड संहिता की धारा 499 (जो मानहानि का अपराध है) या दो साल की अधिकतम सजा निर्धारित करने वाला कोई अन्य अपराध किसी भी विधायक के किसी भी मौजूदा सदस्य को स्वचालित रूप से अयोग्य नहीं ठहराएगा। क्योंकि यह किसी निर्वाचित प्रतिनिधि के बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है।क्या कहता है जन प्रतिनिधि कानून?
जन प्रतिनिधि कानून, 1951 में व्यवस्था की गई है कि यदि किसी जन प्रतिनिधि को किसी मामले में दो साल या इससे अधिक की सजा होगी तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी। इसके अलावा सजा पूरी होने के छह साल तक वह चुनाव नहीं लड़ सकेगा। किसी मौजूदा सदस्य के मामले में तीन महीने की छूट दी गई है।