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    डिमांड नोटिस में चेक की सही राशि का उल्लेख न होने पर शिकायत सुनवाई योग्य नहीं, SC ने सुनाया बड़ा फैसला

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 08:30 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत चेक बाउंस मामले में आपराधिक शिकायत तभी मान्य होगी जब डिमांड नोटिस में चेक की राशि का स्पष्ट उल्लेख हो। कोर्ट ने कावेरी प्लास्टिक्स की अपील खारिज करते हुए कहा कि नोटिस में चेक की राशि गलत होने पर शिकायत सुनवाई योग्य नहीं होगी।

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    डिमांड नोटिस में चेक की सही राशि का उल्लेख न होने पर शिकायत सुनवाई योग्य नहीं (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत (चेक बाउंस के मामले में ) आपराधिक शिकायत तभी सुनवाई योग्य होगी जबकि मांग नोटिस (डिमांड नोटिस) में चेक की राशि का स्पष्ट और सही उल्लेख हो।

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    शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर डिमांड नोटिस में उल्लेखित राशि चेक की राशि से भिन्न है तो शिकायत सुनवाई योग्य नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि धारा 138 के उपबंध (बी) के तहत जारी किए जाने वाले नोटिस में उसी राशि का उल्लेख होना चाहिए, जिसके लिए चेक जारी किया गया है।

    अपील की खारिज

    यह अनिवार्य है कि कानूनी नोटिस में मांग चेक की राशि के बराबर हो। ये फैसला प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने चेक बाउंस के मामले में आपराधिक शिकायत रद करने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली कावेरी प्लास्टिक्स की अपील खारिज करते हुए सुनाया है।

    हाई कोर्ट ने धारा 138 के तहत दाखिल आपराधिक शिकायत इस आधार पर रद कर दी थी कि नोटिस में उल्लेखित राशि चेक के अनुसार नहीं थी, जिससे नोटिस अमान्य हो गया। इस मामले में चेक एक करोड़ रुपये का जारी किया गया था जबकि डिमांड नोटिस में दो करोड़ रुपये का उल्लेख था।

    SC ने शिकायतकर्ता का तर्क नहीं स्वीकारा

    कोर्ट ने शिकायतकर्ता का यह तर्क नहीं स्वीकार किया कि यह अनजाने में हुई टाइपिंग त्रुटि थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश में दखल से इन्कार करते हुए कहा है कि चेक की राशि से भिन्न राशि का उल्लेख करने वाला या चेक की राशि का उल्लेख न करने वाला नोटिस कानूनी रूप से अमान्य होगा।

    इस बारे में किसी भी तरह की चूक, यानी जब उपबंध (बी) के तहत जारी नोटिस में चेक की राशि का उल्लेख नहीं किया जाता है या नोटिस में वास्तविक चेक राशि से भिन्न राशि का उल्लेख किया जाता है तो ऐसा नोटिस कानूनी निगाह में अमान्य माना जाएगा। अगर नोटिस में संबंधित चेक की सही राशि का उल्लेख न किया गया हो, तो भी ऐसे नोटिस को कानूनी दृष्टि में वैधता नहीं मिलेगी।

    'टाइपिंग की गलती कोई बचाव नहीं'

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धारा 138 के उपबंध (बी) की शर्त का सावधानीपूर्वक पालन किया जाना जरूरी है। टाइपिंग की गलती कोई बचाव नहीं हो सकती। यदि त्रुटि टाइपिंग संबंधी भी हो तो भी यह नोटिस की वैधता के लिए घातक होगी, क्योंकि इसके लिए सख्त अनिवार्य अनुपालन की आवश्यकता है। यह दलील स्वीकार नहीं की जा सकती कि नोटिस में उल्लेखित अलग राशि अनजाने में या टाइपिंग की गलती के कारण दी गई।

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