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सुप्रीम कोर्ट ने की कलकत्ता हाईकोर्ट में 9 जजों का कार्यकाल बढ़ाने की सिफारिश, केंद्र को भेजा प्रस्ताव

सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने केंद्र से कलकत्ता उच्च न्यायालय के नौ अतिरिक्त न्यायाधीशों का कार्यकाल एक वर्ष बढ़ाने की सिफारिश की है जो 31 अगस्त 2024 से प्रभावी होगा। प्रस्ताव के मुताबिक कॉलेजियम ने जिन जजों के नामों की सिफारिश की है उनमें जस्टिस बिश्वरूप चौधरी जस्टिस पार्थसारथी सेन जस्टिस प्रसनजीत बिश्वास जस्टिस उदय कुमार जस्टिस अजय कुमार गुप्ता सहित कई अन्य नाम शामिल हैं।

By Jagran News Edited By: Versha Singh Updated: Thu, 25 Jul 2024 08:52 AM (IST)
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कलकत्ता हाईकोर्ट में 9 जजों का कार्यकाल बढ़ाने की सिफारिश (फाइल फोटो)
आईएएनएस, नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई.चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के नौ अतिरिक्त न्यायाधीशों का कार्यकाल एक वर्ष के लिए बढ़ाने की सिफारिश की है। जो 31 अगस्त, 2024 से प्रभावी होगा।

शीर्ष अदालत के प्रस्ताव के मुताबिक, कॉलेजियम ने जिन जजों के नामों की सिफारिश की है, उनमें जस्टिस बिश्वरूप चौधरी, जस्टिस पार्थसारथी सेन, जस्टिस प्रसनजीत बिश्वास, जस्टिस उदय कुमार, जस्टिस अजय कुमार गुप्ता, जस्टिस सुप्रतीम भट्टाचार्य, जस्टिस पार्थ सारथी चटर्जी, जस्टिस अपूर्व सिन्हा रे और जस्टिस मोहम्मद शब्बर रशिदी शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कहा कि उसने कलकत्ता उच्च न्यायालय के मामलों से परिचित शीर्ष अदालत के अन्य न्यायाधीशों से उनकी उपयुक्तता का पता लगाने के लिए परामर्श किया। साथ ही कहा कि मुख्य न्यायाधीश द्वारा गठित सर्वोच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों की समिति ने इन अतिरिक्त न्यायाधीशों के निर्णयों का मूल्यांकन किया।

रिकॉर्ड में रखी गई सामग्री की जांच और मूल्यांकन करने तथा मामले के सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पाया कि ये अतिरिक्त न्यायाधीश 31 अगस्त, 2024 से शुरू होने वाले एक वर्ष के नए कार्यकाल के हकदार हैं।

सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर जारी एक बयान में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल राज्य के मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने उपरोक्त अनुशंसा पर अपने विचार नहीं बताए हैं। न्याय विभाग ने प्रक्रिया ज्ञापन के पैरा 14 का हवाला देते हुए उपरोक्त अनुशंसा को आगे बढ़ाया है, जिसमें प्रावधान है कि यदि राज्य में संवैधानिक अधिकारियों की टिप्पणियां निर्धारित समय सीमा के भीतर प्राप्त नहीं होती हैं, तो कानून और न्याय मंत्री को यह मान लेना चाहिए कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री के पास प्रस्ताव में जोड़ने के लिए कुछ नहीं है और तदनुसार आगे बढ़ना चाहिए।

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