कोलेजियम व्यवस्था में 'फाइन ट्यूनिंग' की जरूरत नहीं, ये पूरी तरह से संतुलित: पूर्व CJI यूयू ललित
पूर्व सीजेआई यूयू ललित भले ही कह रहे हैं कि कोलेजियम व्यवस्था में कोई कमी नहीं है और ये पूरी तरीके से पारदर्शी है लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ये सिस्टम तो ठीक है लेकिन उसमें पारदर्शिता की कमी है। इसके सुधार की गुंजाइश है।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। न्यायाधीशों की नियुक्ति (Supreme Court Judges Selection) की कोलेजियम व्यवस्था (Collegium System) को पूर्व सीजेआई यूयू ललित ने उचित बताया है। साथ ही कहा है कि इस व्यवस्था में किसी बदलाव की गुंजाइश नजर नहीं आती है। हालांकि, पिछले काफी समय से कोलेजियम व्यवस्था पर सवाल उठते रहे हैं। कानून मंत्री किरण रिजिजू भी कई मौकों पर कोलेजियम व्यवस्था पर सवाल उठा चुके हैं। कोलेजियम व्यवस्था में सर्वोच्च न्यायालय के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल हैं, जो उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्ति के लिए न्यायाधीशों का चयन करते हैं।
Collegium System के विवाद पर पूर्व CJI यूयू ललित
दरअसल, हाल ही में में सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों की नियुक्ति से जुड़े मामले पर सुनवाई के दौरान सरकार द्वारा कोलेजियम की सिफारिशों को लंबे समय तक लंबित रखने को अस्वीकार्य बताया। ऐसे में जब कालेजियम के मुद्दों पर पूर्व सीजेआई ललित से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, 'कालेजियम प्रक्रिया में कोई दोष नहीं है। ये स्थापित और स्वीकृत है। उन्होंने कहा कि पूर्व सीजेआई एनवी रमना की अध्यक्षता वाले अंतिम कालेजियम में वे 250 न्यायाधीशों की सिफारिश कर सकते थे, जिन्हें अंततः नियुक्त किया गया था।'
ऐसे चलता है Collegium System
कोलेजिमय व्यवस्था के बारे में पूर्व सीजेआई ललित ने बताया, 'जब उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की बात आती है, तो उच्च न्यायालय में कोलेजियम 1+2 की सिफारिश करता है। इस सिफारिश को बाद में राज्य सरकारों को पारित कर दिया जाता है। सरकारों से इनपुट को भी रिकॉर्ड में लाया जाता है, जिसके बाद मामला केंद्र सरकार तक पहुंचता है।'
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टेलिजेंस ब्यूरो से भी मांगी जाती है राय
पूर्व सीजेआई ललित ने बताया कि पूरी प्रक्रिया कई पड़ावों से होकर गुजरती है। उन्होंने कहा कि केंद्र संबंधित व्यक्ति की प्रोफाइल के बारे में इंटेलिजेंस ब्यूरो से राय मांगता है। फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचता है, जहां हम जजों की सलाह लेते हैं। इसके बाद, कोलेजियम सिफारिशें करना शुरू कर देता है। यह हाई कोर्ट की सिफारिशों के अलावा अन्य नामों की सिफारिश नहीं कर सकता। पूर्व सीजेआई ललित ने कहा, 'इस तरह की कार्यप्रणाली के माध्यम से पूर्व सीजेआई एनवी रमना के तहत पिछले कॉलेजियम में हम 250 ऐसी सिफारिशें कर सकते थे, जिन्हें अंततः स्वीकार कर लिया गया। इसलिए, यह प्रक्रिया अच्छी तरह से स्थापित और स्वीकृत है।'
पूर्व सीजेआई यूयू ललित भले ही कह रहे हैं कि कोलेजियम व्यवस्था में कोई कमी नहीं है और ये पूरी तरीके से पारदर्शी है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ये सिस्टम तो ठीक है, लेकिन उसमें पारदर्शिता की कमी है। इसके सुधार की गुंजाइश है।