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अवैध रेत खनन से जुड़ी जांच में ईडी के सामने पेश नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने की निंदा, तमिलनाडु के 5 डीएम को लगाई फटकार

तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अमित आनंद तिवारी ने कहा कि अधिकारी सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने और सामाजिक सुरक्षा योजना के कार्यान्वयन में व्यस्त थे। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव होने हैं और अधिकारी चुनाव संबंधी कार्यों की देखरेख कर रहे हैं। पीठ ने कहा कि अधिकारियों को जांच एजेंसी के सामने पेश होना चाहिए था।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Updated: Tue, 02 Apr 2024 02:47 PM (IST)
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शीर्ष अदालत ने अधिकारियों को 25 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से ईडी के सामने पेश होने का निर्देश दिया है।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कथित अवैध रेत खनन के संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग जांच के आदेश के बावजूद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष उपस्थित नहीं होने पर मंगलवार को तमिलनाडु के पांच जिला कलेक्टरों को फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने अधिकारियों को 25 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से ईडी के सामने पेश होने का निर्देश दिया है।

जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मिथल की पीठ ने कहा कि अधिकारियों ने "अभद्र रवैया" अपनाया है और कार्रवाई से पता चलता है कि उनके मन में अदालत, कानून और संविधान के प्रति कोई सम्मान नहीं है। कोर्ट ने कहा, "हमारी राय में इस तरह का लापरवाह रवैया उन्हें एक कठिन परिस्थिति में डाल देगा। जब अदालत ने ईडी द्वारा जारी समन के जवाब में उन्हें पेश होने का निर्देश देते हुए आदेश पारित किया, तो उनसे उसी आदेश का पालन करने और अदालत में उपस्थित होने की उम्मीद की गई थी।"

पीठ ने कहा, "इससे पता चलता है कि अधिकारियों के मन में न तो अदालत और न ही कानून के प्रति सम्मान है और भारत के संविधान का तो बिल्कुल भी सम्मान नहीं है। इस तरह के दृष्टिकोण की कड़ी निंदा की जाती है।"

तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अमित आनंद तिवारी ने कहा कि अधिकारी सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने और सामाजिक सुरक्षा योजना के कार्यान्वयन में व्यस्त थे। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव होने हैं और अधिकारी चुनाव संबंधी कार्यों की देखरेख कर रहे हैं।

पीठ ने कहा कि अधिकारियों को जांच एजेंसी के सामने पेश होना चाहिए था और कारण बताना चाहिए था। इसमें कहा गया कि मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में अधिकारियों को ईडी के सामने पेश होने का आखिरी मौका दिया जा रहा है।

शीर्ष अदालत ने 27 फरवरी को पांच जिला कलेक्टरों को चल रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में ईडी के सामने पेश होने का निर्देश दिया था। मद्रास हाईकोर्ट ने पिछले साल 28 नवंबर को केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा जारी समन पर रोक लगा दी थी, जिसमें चल रही जांच के सिलसिले में वेल्लोर, तिरुचिरापल्ली, करूर, तंजावुर और अरियालुर के जिला कलेक्टरों की उपस्थिति की मांग की गई थी। ईडी ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया और कहा कि असहयोग से उसकी जांच प्रभावित होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने जिला कलेक्टरों को राहत देने वाले हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी और कहा था कि तमिलनाडु और उसके अधिकारियों की याचिका "अजीब और असामान्य" थी और इससे एफआईआर के संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग पहलू में ईडी की जांच रुक सकती है।