Move to Jagran APP

सुप्रीम कोर्ट ने मेमोरी कार्ड की सामग्रियों को साक्ष्य माना, अभिनेत्री के अपहरण और यौन अपहरण का है मामला

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मेमोरी कार्ड या पेन ड्राइव की सामग्रियों को इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड मानते हुए उन्हें भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत दस्तावेज ठहराया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Sat, 30 Nov 2019 07:14 PM (IST)
Hero Image
सुप्रीम कोर्ट ने मेमोरी कार्ड की सामग्रियों को साक्ष्य माना, अभिनेत्री के अपहरण और यौन अपहरण का है मामला
 नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मेमोरी कार्ड या पेन ड्राइव की सामग्रियों को इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड मानते हुए उन्हें भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत 'दस्तावेज' ठहराया है। शीर्ष अदालत ने मलयालम फिल्म अभिनेता दिलीप की याचिका पर यह फैसला दिया है।

 पेन ड्राइव की सामग्रियों को भी दस्तावेज ठहराया

जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्र्वरी की पीठ ने कहा कि यदि किसी आपराधिक मामले में अभियोग मेमोरी कार्ड/पेन ड्राइव की सामग्रियों पर निर्भर है, तो आरोपी को इसकी क्लोन प्रति दी जानी चाहिए ताकि वह सुनवाई के दौरान अपना प्रभावी बचाव कर सके। दिलीप ने केरल हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए एक अभिनेत्री के अपहरण एवं यौन उत्पीड़न संबंधी 2017 के मामले में एक सेल फोन के मेमोरी कार्ड की प्रति मांगी थी।

दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि जिन मुकदमों में शिकायतकर्ता/गवाह की निजता या उसकी पहचान जैसे मामले शामिल हैं, उनमें अदालत सुनवाई के दौरान प्रभावी बचाव के लिए केवल आरोपी, उसके वकील या विशेषज्ञ को ही सामग्री मुहैया कराने का आदेश दे सकती है। पीठ ने ने यह भी कहा कि अदालत दोनों पक्षों के हितों को संतुलित करने के लिए उचित निर्देश जारी कर सकती है। पीठ ने यह भी कहा कि मेमोरी कार्ड/पेन ड्राइव की सामग्रियों को 'भौतिक वस्तु' (मैटेरियल ऑब्जेक्ट) नहीं ठहराया जा सकता।

हाईकोर्ट ने याचिका को किया खारिज 

बता दें कि फरवरी 2017 में एक अभिनेत्री का आठ आरोपियों ने कथित अपहरण एवं यौन उत्पीड़न किया था। अभिनेत्री को ब्लैकमेल करने के इरादे से इस पूरे कृत्य को फिल्माया गया था। इसके बाद दिलीप को गिरफ्तार कर लिया गया था और मामले में आरोपी बनाया गया था। केरल हाई कोर्ट ने दिलीप की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि मेमोरी कार्ड या पेन कार्ड को भारतीय साक्ष्य कानून के तहत 'दस्तावेज' नहीं समझा जा सकता और आरोपी को नहीं सौंपा जा सकता।