Supreme Court: चुनावी बांड मामले में विचार के पांच मुद्दे, संविधान पीठ ने केंद्र सरकार से किए कई सवाल
राजनीतिक दलों को चंदे की चुनावी बांड योजना की वैधानिकता पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की पैरोकारी कर रहे सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि पांच मुद्दे विचारणीय हैं। कोर्ट ने सरकार को पांच मुद्दे गिनाते हुए एक संतुलित प्रणाली तैयार करने का सुझाव दिया। हालांकि सालिसिटर जनरल ने भी कोर्ट के कुछ सुझाव से सहमति जताई।
By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Thu, 02 Nov 2023 11:50 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राजनीतिक दलों को चंदे की चुनावी बांड योजना की वैधानिकता पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की पैरोकारी कर रहे सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि पांच मुद्दे विचारणीय हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को पांच मुद्दे गिनाए
कोर्ट ने सरकार को पांच मुद्दे गिनाते हुए एक संतुलित प्रणाली तैयार करने का सुझाव दिया। हालांकि, सालिसिटर जनरल ने भी कोर्ट के कुछ सुझाव से सहमति जताई। पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने गुरुवार को चुनावी बांड पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से कई सवाल किए।
जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि पहले औद्योगिक समूह ने एक चुनावी ट्रस्ट बनाया था, जिससे विभिन्न दलों को चंदा दिया जाता था। इससे यह किसी को पता नहीं चलता था कि किस कंपनी ने कितना पैसा दिया है। सिर्फ ट्रस्ट होता था, लेकिन 2013 में चुनाव आयोग ने नियम में बदलाव किया, जिसमें कहा गया कि नाम सार्वजनिक होना चाहिए।
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मेहता ने कहा कि ट्रस्ट बस एक छद्म नाम होता है। अभी भी चुनावी ट्रस्ट होते हैं। मेहता ने कहा कि यह योजना व्यवस्था से काला धन हटाने के लिए लाई गई है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, जिस क्षण किसी पार्टी को चुनावी बांड दिया जाता है तो उस पार्टी को इसका पता चल जाता है।
मेहता का जवाब था कि लेकिन दानदाता चाहता है कि दूसरी पार्टी को इसके बारे में पता न चले। जस्टिस बीआर गवई का सवाल था कि मतदाता को जानकारी के अधिकार का क्या? मेहता ने कहा कि मतदाता को इस पर वोट नहीं करना चाहिए कि किस पार्टी को दान मिला है। चुनाव की स्वच्छता सुप्रीम है। मतदाता राजनीतिक दल की विचारधारा, उसकी नीतियों के आधार पर मतदान करता है। जस्टिस खन्ना की टिप्पणी थी कि पार्टी जानती है। सिर्फ मतदाता नहीं जानता।