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यूपी में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला, हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक

उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती के मामले में नये सिरे से चयन सूची तैयार करने के हाई कोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लग गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी करते हुए अंतरिम आदेश में नये सिरे से लिस्ट तैयार करने को फिलहाल टाले रखने का आदेश दिया है।

By Jagran News Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Mon, 09 Sep 2024 11:45 PM (IST)
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हाईकोर्ट के आदेश पर SC ने लगाई रोक

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती के मामले में नये सिरे से चयन सूची तैयार करने के हाई कोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लग गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी करते हुए अंतरिम आदेश में नये सिरे से लिस्ट तैयार करने को फिलहाल टाले रखने का आदेश दिया है।

अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी। ये आदेश प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को सामान्य वर्ग के चयनित अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिये। चयनित अभ्यर्थियों की तरफ से रवि सक्सेना समेत 52 अभ्यर्थियों ने याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट की खंडपीठ के फैसले को रद्द करने की मांग की है। इसके अलावा एक याचिका रोविन ¨सह व अन्य की ओर से भी दाखिल की गई है।

हाई कोर्ट ने नये सिरे से लिस्ट तैयार करने के दिए आदेश 

इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ का फैसला पलटते हुए गत 13 अगस्त को 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती की मेरिट लिस्ट रद कर तीन महीने में नई लिस्ट बनाने का आदेश दिया है। याचिकाओं में आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। सोमवार को मामले पर सुनवाई के दौरान चयन प्रक्रिया पार कर नौकरी पा चुके सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के वकील मुकुल रोहतगी, राकेश द्विवेदी आदि ने हाई कोर्ट की खंडपीठ के आदेश का विरोध करते हुए कहा कि वे लोग चार साल से नौकरी कर रहे हैं और अब हाई कोर्ट ने नये सिरे से लिस्ट तैयार करने के आदेश दिये हैं जो कि कानूनन ठीक नहीं है।

उनका कहना था कि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार दो बार लाभ नहीं ले सकते। जबकि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की ओर से पेश वकीलों की दलील थी कि हाई कोर्ट का आदेश बिल्कुल सही है क्योंकि नियम यही है अगर कोई आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवार से ज्यादा अंक पाता है तो उसे अनारक्षित वर्ग का माना जाएगा। कोर्ट ने संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद मामले को महत्वपूर्ण मानते हुए सुनवाई का मन बनाया और याचिकाओं पर नोटिस जारी किया।

23 सितंबर को सुनवाई की जाएगी

कोर्ट ने पक्षकारों से कहा कि वह अधिकतम सात पेज की संक्षिप्त लिखित दलीलें दाखिल करें मामले पर 23 सितंबर को सुनवाई की जाएगी और फिलहाल हाई कोर्ट का नये सिरे से लिस्ट बनाने का आदेश टला रहेगा। सामान्य वर्ग के उम्मीदवार रोविन सिंह की याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट की खंडपीठ के आदेश का असर है कि सामान्य वर्ग के याचिकाकर्ता जैसे लोग जो पिछले चार साल से चयनित और नियुक्त होने के बाद नौकरी कर रहे हैं, उनकी नौकरी पर संकट आ गया है।

कोर्ट ने इस मानवीय पहलू पर ध्यान नहीं दिया है। याचिका में कानूनी सवाल उठाते हुए कहा गया है कि असिस्टेंट टीचर रिक्रूटमेंट एग्जाम (एटीआरइ) भर्ती की मुख्य परीक्षा है इसे सिर्फ क्वालीफाइंग परीक्षा नहीं कहा जा सकता। उनका यह भी कहना है कि आरक्षित वर्ग को रियायत भी एक बार दी जा सकती है दो बार नहीं दी जा सकती।