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'भारत के मुसलमानों...' AMU पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ओवैसी ने और क्या-क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा बरकरार रखा है। अब इस फैसले पर कई नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है। आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह देश में मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। उन्होंने एक पोस्ट में कहा मैं आज एएमयू के सभी छात्रों और शिक्षकों को बधाई देता हूं।

By Jagran News Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Fri, 08 Nov 2024 04:30 PM (IST)
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AMU पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ओवैसी ने दिया बयान (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) का अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा बरकरार रखा है। कोर्ट ने साल 1967 के फैसले को पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने 4-3 के बहुमत से यह फैसला सुनाया है। अब इस फैसले पर कई नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है।

आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह देश में मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। ओवैसी ने एक्स पर लिखा कि अल्पसंख्यकों के स्वयं को शिक्षित करने के अधिकार को बरकरार रखा गया है। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ''मैं आज एएमयू के सभी छात्रों और शिक्षकों को बधाई देता हूं।''

''भाजपा के सभी तर्क खारिज कर दिए गए''

वहीं हैदराबाद के सांसद ने भारतीय जनता पार्टी पर भी कटाक्ष किया, उन्होंने कहा, "भाजपा के सभी तर्क खारिज कर दिए गए।" बीजेपी पर आगे हमला करते हुए, ओवैसी ने कहा कि उन्होंने इन सभी सालों में विश्वविद्यालय की अल्पसंख्यक स्थिति का विरोध किया है। उन्होंने कहा, "यह अब क्या करने जा रहा है? इसने एएमयू और जामिया और यहां तक ​​कि मदरसे चलाने के हमारे अधिकार पर हमला करने के लिए हर संभव प्रयास किया है।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मोहम्मद आसिम सिद्दीकी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने आईएएनएस से कहा कि यह एक लंबी कानूनी लड़ाई थी। इसलिए हम इस केस के लिए बहुत मेहनत से तैयारी भी कर रहे थे। हम इस फैसले का स्वागत करते हैं और हम इस फैसले को स्वीकार करते हैं। हमें हमेशा से भारतीय न्यायपालिका पर गहरा भरोसा था और वह भरोसा आज भी बरकरार है।

''एएमयू के लिए बड़ी जीत है'

संवैधानिक कानून विशेषज्ञ और एएमयू के पूर्व रजिस्ट्रार प्रोफेसर फैजान मुस्तफा, जिन्होंने अपने पद पर रहते हुए सुप्रीम कोर्ट में यह मामला दायर किया था, ने पीटीआई को बताया, "यह सामान्य रूप से अल्पसंख्यक अधिकारों और विशेष रूप से एएमयू के लिए एक व्यापक जीत है।"

एएमयूटीए के सचिव ने किया फैसला का स्वागत

एएमयू टीचर्स एसोसिएशन (एएमयूटीए) के सचिव मोहम्मद ओबैद सिद्दीकी ने कहा कि फैसला "उन बुनियादी सिद्धांतों की पुष्टि करता है जिन पर यह संस्थान स्थापित किया गया था।" सिद्दीकी ने कहा, यह फैसला शैक्षिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए संस्थान की स्थापना के पीछे के विचार की पुष्टि करता है।

बता दें कि 1967 में एस अजीज बाशा बनाम भारत सरकार के मामले में कहा गया था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है। इसे अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता है।

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