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अवैध प्रवासियों को नागरिकता देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज, सीजेआई चंद्रचूड़ की पीठ सुनाएगी निर्णय

असम में अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने से संबंधित नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को अपना फैसला सुनाएगा। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा फैसला सुनाए जाने की संभावना है। पीठ ने पिछले साल दिसंबर में फैसला सुरक्षित रख लिया था।

By Agency Edited By: Jeet Kumar Updated: Thu, 17 Oct 2024 06:28 AM (IST)
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अवैध प्रवासियों को नागरिकता देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज
 पीटीआई, नई दिल्ली। असम में अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने से संबंधित नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को अपना फैसला सुनाएगा। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा फैसला सुनाए जाने की संभावना है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने पिछले साल दिसंबर में फैसला सुरक्षित रख लिया था।

पीठ ने पिछले साल दिसंबर में फैसला सुरक्षित रख लिया था

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 12 दिसंबर को अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सालिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान, कपिल सिब्बल और अन्य की दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। पीठ में जस्टिस सूर्यकांत, एमएम सुंदरेश, जेबी पार्डीवाला और मनोज मिश्रा भी शामिल हैं।

नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की वैधता पर सवाल उठाते हुए 17 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं। असम समझौते के दायरे में आने वाले लोगों की नागरिकता का मुद्दा सुलझाने के लिए विशेष प्रविधान के रूप में नागरिकता अधिनियम में धारा 6ए को शामिल किया गया था।

पीठ ने इन याचिकाओं पर की थी सुनवाई

पीठ ने असम संमिलिता महासंघ और अखिल असम अहोम सभा सहित अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई की थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि असम को अलग करना भेदभावपूर्ण था क्योंकि यह सांस्कृतिक, सामाजिक और एक राज्य के मूल नागरिकों के राजनीतिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि अवैध अप्रवास की समस्या बांग्लादेश की सीमा से लगे अन्य राज्यों में भी आम है।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया कि भारत में रह रहे अवैध प्रवासियों का सटीक डेटा इकठ्ठा कर पाना संभव नहीं है। ये लोग बिना डॉक्यूमेंट्स के भारत में चोरी-छिपे घुसते हैं। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि पड़ोसी देश के असहयोग के कारण भारत-बांग्लादेश सीमा पर बाड़ लगाने में परेशानी का सामना करना पड़ा। फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के आदेशों के तहत 1966 से 1971 तक असम में 32381 विदेशियों की पहचान की गई. केंद्र ने कहा कि अवैध प्रवासियों का पता लगाना, हिरासत में लेना और उन्हें वापस भेजना काफी मुश्किल है।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया था हलफनामा

हलफनामे में कहा गया कि दुनिया की सबसे बड़ी आबादी और सीमित संसाधनों वाले विकासशील देश के रूप में, देश के अपने नागरिकों को प्राथमिकता दी जानी आवश्यक है। इसलिए, विदेशियों को शरणार्थी के रूप में पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता, खासकर जहां ऐसे अधिकांश विदेशियों ने अवैध रूप से देश में प्रवेश किया है।