Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

चावल फोर्टिफिकेशन लेबलिंग मानदंडों के तहत उठाए गए कदमों से अवगत कराए केंद्रः सुप्रीम कोर्ट

SC ने केंद्र को निर्देश दिया है कि वह खाद्य सुरक्षा और मानक विनियमों के तहत उठाए गए कदमों के बारे में उसे अवगत कराए कि फोर्टिफाइड चावल वाले बैगों पर लेबल पर एक सलाह होनी चाहिए कि यह सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों के लिए हानिकारक है।कोर्ट ने कहा कि केंद्र चार सप्ताह के अंदर एक हलफनामा दायर कर उठाए गए कदमों के बारे में बताए।

By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sat, 14 Oct 2023 03:43 PM (IST)
Hero Image
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरका को दिया निर्देश। फाइल फोटो।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को खाद्य सुरक्षा और मानक विनियम, 2018 के तहत उठाए गए सभी कदमों के बारे में अवगत कराने का निर्देश दिया। SC ने कहा कि फोर्टिफाइड चावल (Fortified Rice) की थैलियों पर लगे लेबल पर यह भी सलाह दी जानी चाहिए कि यह सिकल सेल (Sickle Cell) एनीमिया और थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों के लिए हानिकारक है। न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने केंद्र सरकार को चार सप्ताह के अंदर एक हलफनामा दायर कर उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी देने को भी कहा।

याचिका में क्या कहा गया था?

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट में राजेश कृष्णन और कई अन्य लोगों ने याचिका दायर कर मांग की थी कि फोर्टिफाइड चावल की बोरियों पर खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य पदार्थों का फोर्टिफिकेशन) विनियम, 2018 के खंड 7(4) के तहत अनिवार्य लेबलिंग होनी चाहिए।

चार सप्ताह में केंद्र दायर करे हलफनामाः कोर्ट

पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि केंद्र की ओर से एक वकील कोर्ट में उपस्थित होंगे और वह बताएंगे की वर्तमान याचिका में शिकायत के विषय के संबंध में क्या कदम उठाए गए हैं और इस मामले में पहले कोई कार्रवाई हुई है या नहीं। पीठ ने कहा कि इस मामले में चार सप्ताह के अंदर एक हलफनामा दायर किया जाए।

यह भी पढ़ेंः  सुप्रीम कोर्ट सात और नौ जजों की पीठों के मामलों को लेकर जारी करेगा साझा आदेश, 20 साल से लंबित हैं कई केस

क्या कहता है क्लॉज?

मालूम हो कि खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य पदार्थों का सुदृढ़ीकरण) विनियम, 2018 के तहत सूक्ष्म पोषक तत्व आयरन से भरपूर भोजन के प्रत्येक पैकेज पर यह लिखा हुआ होना चाहिए कि थैलेसीमिया (Thalassemia) से पीड़ित लोगों को चिकित्सकीय देखरेख में रखा जा सकता है और सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित लोगों को आयरन-फोर्टिफाइड खाद्य उत्पादों का सेवन न करने की सलाह दी जाती है।

यह भी पढ़ेंः SC ने डार्विन और आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती देने वाली याचिका की खारिज, कहा- हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं