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Anand Mohan: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सांसद आनंद मोहन को पासपोर्ट जमा करने का दिया निर्देश, हर पखवारे लगानी होगी हाजिरी

बिहार के गोपालगंज के तत्कालीन डीएम की हत्या के दोषी पूर्व सांसद आनंद मोहन को सुप्रीम कोर्ट ने अपना पासपोर्ट सरेंडर करने और स्थानीय पुलिस स्टेशन में हर पखवारे अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को कहा है। इस मामले में पिछले साल बिहार सरकार से माफी मिलने के बाद उम्रकैद की सजा काट रहे बाहुबली सांसद जेल से बाहर आ गए थे।

By Jagran News Edited By: Devshanker Chovdhary Updated: Tue, 06 Feb 2024 09:40 PM (IST)
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बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन। (फोटो- एएनआई)
पीटीआई, नई दिल्ली। बिहार के गोपालगंज के तत्कालीन डीएम की हत्या के दोषी पूर्व सांसद आनंद मोहन को सुप्रीम कोर्ट ने अपना पासपोर्ट सरेंडर करने और स्थानीय पुलिस स्टेशन में हर पखवारे अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को कहा है। इस मामले में पिछले साल बिहार सरकार से माफी मिलने के बाद उम्रकैद की सजा काट रहे बाहुबली सांसद जेल से बाहर आ गए थे।

बिहार सरकार ने माफ की थी सजा

जस्टिस सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को मोहन को माफी देने के मामले में हलफनामा दायर करने का एक आखिरी मौका दिया है। बिहार सरकार ने आनंद मोहन गोपालगंज के डीएम जी.कृष्णैया की 1994 में हुई हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा माफ कर दी थी।

पुलिस स्टेशन में हर पखवारे लगानी होगी हाजिरी

खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि प्रतिवादी आनंद मोहन को स्थानीय पुलिस स्टेशन में तत्काल अपना पासपोर्ट जमा कराना चाहिए। साथ ही उसे पुलिस स्टेशन में हर 15 दिन पर अपनी हाजिरी सुनिश्चित करनी होगी। संक्षिप्त सुनवाई के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने मारे गए अफसर की पत्नी उमा कृष्णैया की ओर से पेश होते हुए खंडपीठ से कहा कि यह मामला कुछ अरसे से अटका पड़ा है, क्योंकि केंद्र ने माफी को चुनौती देने वाली याचिका पर अब तक अपना जवाब नहीं दिया है।

राजनीतिक भूमिका पर उठे सवाल

उन्होंने बताया कि पिछले साल मई में केंद्र सरकार को नोटिस भेजा गया था। लेकिन सरकार अभी तक हलफनामा दायर करने के लिए और समय मांग रही है। बिहार सरकार के हलफनामे का जिक्र करते हुए लूथरा ने कहा कि यह एक अजीबोगरीब मामला है जिसमें उम्रकैद की सजा पाए दोषी को समय से पहले रिहा कर दिया गया है और अब वह बाहर जाकर अपनी राजनीतिक भूमिका निभा रहा है।

उल्लेखनीय है कि आनंद मोहन को 14 साल की सजा काटने के बाद पिछले साल 24 अप्रैल को सहरसा जेल से रिहा किया गया था। इसके लिए बिहार सरकार ने राज्य सरकार के जेल नियमों में संशोधन करके यह विवादित फैसला लिया था।