आरोपियों के लिए जमानत नीति में सुधार लाने की कवायद, सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र को दिया निर्देश
Supreme Court सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जमानत देने के लिए नीति रणनीति नाम के स्वत संज्ञान मामले की सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने जेल में बंद दोषियों को सजा में छूट देने की नीतियों में मानक तय करने और उसमें पारदर्शिता लाने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने दिव्यांगजन अधिकार कानून के प्रभावी कार्यान्वयन की मांग वाली जनहित याचिका पर भी सुनवाई की।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को जेल में बंद दोषियों को सजा में स्थायी छूट देने की नीतियों में मानक तय करने और उसमें पारदर्शिता लाने को कहा है। इसके लिए शीर्ष अदालत ने निर्देश जारी किए हैं।
जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस अगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ द्वारा जारी निर्देशों में सजा में स्थायी छूट की नीतिगत सूचनाओं तक अधिक पहुंच सुनिश्चित करने, फैसलों के बारे में समय पर जानकारी देने और मनमानी से बचने के लिए प्रत्येक मामले पर उसकी परिस्थतियों के हिसाब से विचार को अनिवार्य बनाया गया है।
एक हफ्ते के भीतर सूचना देने का निर्देश
पीठ 2021 के एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसका शीर्षक 'जमानत देने के लिए नीति रणनीति' था। शीर्ष कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे स्थायी छूट से जुड़ी अर्जी खारिज होने की सूचना दोषियों को एक हफ्ते के भीतर दें।
साथ ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इन फैसलों की प्रतियां संबंधित जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों को भी भेजनी होंगी, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि दोषियों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए उचित कदम उठाए गए।
पीठ ने कहा, 'इस स्तर पर हम निम्नलिखित निर्देश जारी करते हैं, जो सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होंगे:
- स्थायी छूट प्रदान करने के निर्णय को नियंत्रित करने वाली वर्तमान नीतियों की प्रतियां राज्यों की प्रत्येक जेल में उपलब्ध कराई जाएंगी।
- इन नीतियों की प्रतियां अंग्रेजी अनुवाद के साथ सरकार की उपयुक्त वेबसाइट पर अपलोड की जाएंगी।'