'सरकार और राज्यपाल दोनों को आत्मावलोकन करने की जरूरत है', सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों और राज्यपाल के बीच टकराव पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि दोनों पक्षों को आत्मावलोकन करने की जरूरत है। निश्चित रूप से मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच इस तरह के मुद्दे हल होने चाहिए। हमारी चिंता यहां यह है कि पक्षकारों को सुप्रीम कोर्ट क्यों आना पड़े। राज्यपाल को मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने से पहले कार्रवाई करनी चाहिए।
By Jagran NewsEdited By: Achyut KumarUpdated: Mon, 06 Nov 2023 09:35 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने विधेयकों पर राज्यपालों की सहमति को लेकर राज्यों में चल रहे विवादों पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों को आत्मावलोकन की आवश्यकता है। कोर्ट ने मामला कोर्ट में आने के बाद राज्यपाल द्वारा विधेयकों पर कार्रवाई किये जाने पर भी टिप्पणी की।
'राज्यपाल को मामले के SC पहुंचने से पहले करनी चाहिए कार्रवाई'
पीठ की अगुवाई कर रहे प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि राज्यपाल को मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने से पहले कार्रवाई करनी चाहिए। मामले के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद राज्यपाल द्वारा कार्रवाई किया जाना बंद होना चाहिए। इतना ही नहीं, कोर्ट ने सत्रावसान के बगैर तीन महीने बाद स्पीकर द्वारा फिर सत्र बुलाने पर भी टिप्पणी की।
कोर्ट ने पंजाब के राज्यपाल के कार्रवाई करने की बात पर मामले की सुनवाई शुक्रवार तक टालते हुए राज्यपाल द्वारा विधेयकों पर की गई कार्रवाई का विवरण मांगा है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन सदस्यीय पीठ ने पंजाब सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान सोमवार को ये टिप्पणियां कीं।
पंजाब सरकार ने राज्यपाल पर लगाए आरोप
पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर राज्यपाल पर चार विधेयकों को मंजूरी न देने का आरोप लगाया है। पंजाब के अलावा, केरल और तमिलनाडु सरकारों ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर राज्यपाल द्वारा विधेयकों को मंजूरी न देने का आरोप लगाया है।
राज्यपाल ने सात विधेयकों को रोक रखा है?
मामला जब सुनवाई पर आया तो पंजाब की आम आदमी सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल ने सात विधेयकों को रोक रखा है। ये विधेयक राजकोषीय प्रबंधन से जुड़े महुत्वपूर्ण विधेयक हैं। इसमें जीएसटी संशोधन, गुरुद्वारा प्रबंधन आदि विधेयक शामिल हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को ये विधेयक जुलाई में मंजूरी के लिए भेजे गए थे और अभी तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।राज्यपाल ने क्या कहा?
राज्यपाल ने विधेयकों पर कार्रवाई न करने में सत्र में अनियमितता का कारण बताया है। राज्यपाल का कहना है कि सत्रावसान के बाद विधानसभा अध्यक्ष सत्र नहीं बुला सकते। लेकिन ये कहना सही नहीं है क्योंकि सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित था।राज्यपाल सचिवालय की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि उन्हें निर्देश मिले हैं कि राज्यपाल ने विधेयकों पर उचित कार्रवाई की है। ऐसे में पंजाब राज्य की इस याचिका की जरूरत नहीं रह गई है। कोर्ट शुक्रवार तक सुनवाई स्थगित कर दे, वे कोर्ट को हुई कार्रवाई की जानकारी देंगे।