Move to Jagran APP

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को दी बड़ी राहत, EVM-VVPAT के 100% मिलान वाले फैसले पर नहीं होगा पुनर्विचार

चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने VVPAT पर्चियों के ईवीएम मशीन से 100 फीसदी मिलान कराने की मांग वाली पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए कहा कि 26 अप्रैल के फैसले पर पुनर्विचार का कोई मामला नहीं बनता है।

By Jagran News Edited By: Versha Singh Updated: Tue, 30 Jul 2024 01:32 PM (IST)
Hero Image
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को दी बड़ी राहत (फाइल फोटो)
एएनआई, नई दिल्ली। चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम मशीन से 100 फीसदी मिलान कराने पर अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं करेगा। 100 फीसदी मिलान को लेकर पुर्नविचार याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए कहा कि 26 अप्रैल के फैसले पर पुनर्विचार का कोई मामला नहीं बनता है।

दरअसल 26 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपीएटी और ईवीएम मशीन की पर्चियों का 100 फीसदी मिलान करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था।

पीठ ने की समीक्षा याचिका खारिज

पीठ ने 25 जुलाई के अपने आदेश में कहा, हमने समीक्षा याचिका और उसके समर्थन में दिए गए आधारों का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया है। हमारी राय में, 26 अप्रैल, 2024 के फैसले की समीक्षा का कोई मामला नहीं बनता है। तदनुसार, समीक्षा याचिका खारिज की जाती है।

अरुण कुमार अग्रवाल द्वारा दायर समीक्षा याचिका में तर्क दिया गया कि 26 अप्रैल के फैसले में स्पष्ट गलतियां और त्रुटियां हैं।

पुनर्विचार याचिका में कहा गया था, यह कहना सही नहीं है कि (ईवीएम मतों को वीवीपैट पर्चियों से मिलान करने से) परिणाम में अनुचित रूप से देरी होगी या इसके लिए पहले से तैनात लोगों से दोगुने लोगों की आवश्यकता होगी... मतगणना हॉलों की मौजूदा सीसीटीवी निगरानी यह सुनिश्चित करेगी कि वीवीपैट पर्चियों की गिनती में गड़बड़ी न हो।

याचिकाकर्ता ने की थी क्रॉस वैरिफिकेशन की मांग

याचिकाकर्ता ने 26 अप्रैल के फैसले की समीक्षा की मांग की थी, जिसमें उन याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था, जिनमें मतदाताओं द्वारा डाले गए मतों की ईवीएम में दर्ज मतों की वीवीपैट के साथ क्रॉस-सत्यापन (cross-verification) की मांग की गई थी।

हालांकि, समीक्षा याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें मतदाताओं को यह सत्यापित करने की अनुमति नहीं देती हैं कि उनके वोट सही तरीके से दर्ज किए गए हैं।

इसके अलावा, उनकी प्रकृति को देखते हुए, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें विशेष रूप से डिजाइनरों, प्रोग्रामर, निर्माताओं, रखरखाव तकनीशियनों आदि जैसे अंदरूनी लोगों द्वारा दुर्भावनापूर्ण परिवर्तनों के लिए असुरक्षित हैं।

इसमें कहा गया है कि इसलिए, उपरोक्त के मद्देनजर, 26 अप्रैल, 2024 के विवादित आदेश में स्पष्ट त्रुटियां हैं और विवादित निर्णय की समीक्षा की जानी चाहिए।

बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग भी खारिज

इसके साथ ही याचिका में चुनाव को बैलट पेपर से कराए जाने की भी मांग की गई थी जिसको सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। पुनर्विचार याचिका अरुण कुमार अग्रवाल द्वारा दायर की गई, जिन्होंने पहले भी इस मुद्दे पर जनहित याचिका दायर की थी।

ईवीएम के जरिये डाले गए वोट की VVPAT की पर्चियों से 100 प्रतिशत मिलान के मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर पुनर्विचार की मांग करते हुए याचिका दाखिल की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट मे दाखिल की गई इस याचिका मे 26 अप्रैल को दिए गए फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की गई थी। जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने EVM के जरिये डाले गए वोट की VVPAT की पर्चियों से शत प्रतिशत मिलान समेत अन्य कई मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था। इसके साथ ही कहा कि ECI का निर्देश है कि चुनाव के बाद सिंबल लोडिंग यूनिटों को भी 45 सील कर सुरक्षित किया जाए।

यह भी पढ़ें- EVM Controversy: एलन मस्क ने EVM पर उठाए सवाल, तो पूर्व केंद्रीय मंत्री से मिल गया नसीहत वाला जवाब