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Supreme Court: अस्पताल में जवान को चढ़ाया था HIV संक्रमित खून, 12 साल बाद खुला राज; अब मिलेंगे इतने करोड़

Supreme Court सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2002 में एक पूर्व वायुसेना के अफसर को एचआइवी से संक्रमित खून चढ़ाने पर भारतीय सेना और वायुसेना को उन्हें 1.54 करोड़ रुपये का हर्जाना चुकाने का निर्देश दिया है। वायुसेना के तत्कालीन अफसर को सैन्य अस्पताल में जानलेवा एचआइवी से संक्रमित एक यूनिट खून चढ़ाए जाने के बाद वह एड्स से पीडि़त हो गए और उनकी वायुसेना की नौकरी भी चली गई।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Wed, 27 Sep 2023 06:59 AM (IST)
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Supreme Court: अस्पताल में जवान को चढ़ाया था HIV संक्रमित खून, 12 साल बाद खुला राज; अब मिलेंगे इतने करोड़
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2002 में एक पूर्व वायुसेना के अफसर को एचआइवी से संक्रमित खून चढ़ाने पर भारतीय सेना और वायुसेना को उन्हें 1.54 करोड़ रुपये का हर्जाना चुकाने का निर्देश दिया है। इस भारी चिकित्सकीय चूक के चलते 2001 में हुए संसद भवन पर हमले के खिलाफ जम्मू और कश्मीर में हुए ऑपरेशन पराक्रम में शामिल रहे वायुसेना के तत्कालीन अफसर को सैन्य अस्पताल में जानलेवा एचआइवी से संक्रमित एक यूनिट खून चढ़ाए जाने के बाद वह एड्स से पीडि़त हो गए और उनकी वायुसेना की नौकरी भी चली गई।

जस्टिस रवींद्र भट और दिपांकर दत्ता की खंडपीठ ने सेना और वायुसेना पर चिकित्सकीय लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए एचआइवी अधिनियम, 2017 के तहत सरकार, अदालतों, ट्रिब्यूनलों, आयोगों और अर्धन्यायिक संस्थानों को खून चढ़ाने के मामलों में कई दिशा-निर्देशों का पालन करने को कहा है।

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हर्जाने में मिलेंगे 1,54,73,000 रुपये

खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि अपीलकर्ता को चिकित्सकीय भूल के कारण उठाई मुसीबतों के चलते 1,54,73,000 रुपये का हर्जाना दिया जाना सुनिश्चित किया जाए। इस कार्य में किसी एक की गलती को उचित नहीं ठहराया जा सकता। बल्कि यह प्रतिवादी संगठनों वायुसेना और भारतीय सेना के खिलाफ है जिन्हें तत्काल प्रभाव से संयुक्त रूप से यह जिम्मेदारी लेनी होगी। वायुसेना को छह हफ्तों के अंदर पीडि़त अफसर को हर्जाने की पूरी रकम चुकानी होगी।

वायुसेना चाहे तो इस मुआवजा राशि को सेना के साथ आधा-आधा बांट सकती है। इसके अलावा, डिसेबिल्टी पेंशन का सारा एरियर भी उन्हें छह हफ्ते के अंदर ही दे दिया जाना चाहिए। पीड़ित पूर्व अफसर का आरोप है कि वर्ष 2002 में एक फील्ड अस्पताल में उन्हें बीमार पड़ने पर एचआइवी से संक्रमित खून चढ़ा दिया गया। और फिर वह एड्स के मरीज बन गए। इस बीमारी के कारण वायुसेना की उनकी नौकरी भी चली गई।

उनका आरोप है कि 2014 में वह बीमार पड़े और उन्हें एचआइवी से पीडि़त घोषित कर दिया गया। मेडिकल बोर्ड ने उन्हें वायुसेना में सेवा के लिए अयोग्य ठहरा दिया। इसके बाद सैन्य अस्पतालों ने भी उन्हें कोई चिकित्सकीय सहायता देने से इन्कार कर दिया था।

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