SC ने कामाख्या मंदिर में पूजा प्रबंधन की मौजूदा व्यवस्था जारी रखने की दी इजाजत, असम सरकार ने कहा- संतोषजनक ढंग से चला रहा काम
असम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री डिवाइन योजना के तहत बड़े स्तर पर मां कामाख्या मंदिर का विकास कार्य कर रही है। कोर्ट ने राज्य सरकार का हलफनामा देखने के बाद मां कामाख्या मंदिर में पूजा प्रबंधन की मौजूदा व्यवस्था जारी रखने की इजाजत दे दी है। मालूम हो कि राज्य सरकार ने पहला हलफनामा तीन सितंबर 2023 को दाखिल किया था।
By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Thu, 16 Nov 2023 10:00 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। असम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री डिवाइन योजना के तहत बड़े स्तर पर मां कामाख्या मंदिर का विकास कार्य कर रही है। यह भी कहा कि डोलोई (मुख्य पुजारी) समाज मंदिर प्रबंधन मामलों को स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय से संतोषजनक ढंग से चला रहा है और मौजूदा व्यवस्था जारी रखी जा सकती है। कोर्ट ने राज्य सरकार का हलफनामा देखने के बाद मां कामाख्या मंदिर में पूजा प्रबंधन की मौजूदा व्यवस्था जारी रखने की इजाजत दे दी है।
राज्य सरकार ने कोर्ट को दिया आश्वसन
सुप्रीम कोर्ट ने मामला निबटाते हुए कहा है कि राज्य सरकार ने पीएम डिवाइन योजना के तहत बड़े स्तर पर मां कामाख्या मंदिर में विकास की गतिविधियां जारी रखने का जो आश्वसन दिया है उसका सही अर्थों में पालन होना चाहिए। ये आदेश न्यायमूर्ति अभय एस ओका और पंकज मित्तल की पीठ ने गत 10 नवंबर को दिए। इस मामले में असम सरकार की ओर से दो हलफनामे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए थे जिन्हें कोर्ट ने आदेश में दर्ज किया है।
तीन सितंबर को दाखिल हुआ था पहला हलफनामा
राज्य सरकार ने पहला हलफनामा तीन सितंबर 2023 को दाखिल किया था, जिसमें कहा गया था कि 13 अगस्त को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री दफ्तर में एक बैठक हुई जिसमें कामाख्या कारीडोर और उससे संबंधित मुद्दों पर चर्चा हुई। यह तय पाया गया कि डोलोई समाज, स्थानीय प्रशासन के समन्वय से मंदिर प्रशासन का कामकाज संतोषजनक ढंग से चला रहा है और मौजूदा व्यवस्था जारी रखी जा सकती है।SC ने लगाई थी रोक
मालूम हो कि कामाख्या मंदिर में डोलोई समाज ही मंदिर का मुख्य पुजारी है जो मंदिर का प्रबंधन और कामकाज देखता है। इस मामले में असम सरकार ने गत 8 नवंबर को एक और हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया, जिसमें कहा कि स्टेट बैंक आफ इंडिया के कामाख्या मंदिर शाखा के बचत खाते में लगभग 11 लाख की राशि जमा है और सुप्रीम कोर्ट के 2017 के रोक आदेश के कारण वह खाता तब से संचालित नहीं हुआ है।
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राज्य सरकार ने हलफनामे में कहा कि कोर्ट के गत 3 अक्टूबर के आदेश के बाद राज्य सरकार की सक्षम अथारिटी ने मामले पर विचार किया। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के हलफनामों में कही गई बातों और अश्वासन को दर्ज कर मामला निबटाते हुए कहा कि ऐसे में हाई कोर्ट का आदेश लागू रहने की जरूरत नहीं रह जाती और राज्य सरकार के हलफनामे में जो कहा गया है और मंदिर में प्रबंधन की जो मौजूदा व्यवस्था है वह जारी रहेगी।