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'जांच अधिकारी के साथ लोकेशन शेयर करें आरोपी' नशीले पदार्थ रखने के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत में लगाई शर्त

नशीले पदार्थ रखने के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत में शर्त लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने नशीले पदार्थ रखने के एक मामले में जमानत देते हुए आरोपी को आदेश दिया है कि वह जांच अधिकारी के साथ लोकेशन शेयर करे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की ही एक अन्य पीठ जमानत के आदेश में लोकेशन शेयर करने की शर्त पर विचार कर रही है।

By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Sun, 05 Nov 2023 10:24 PM (IST)
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नशीले पदार्थ रखने के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत में लगाई शर्त (Image: ANI)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जैसे जैसे तकनीक बढ़ रही है रोजाना की जिंदगी में उसका दखल भी बढ़ता जा रहा है। अब जांच एजेंसियों के लिए यह पता लगाना आम बात है कि आरोपी अपराध के समय कहां था और ऐसा उसके मोबाइल फोन की लोकेशन से पता किया जाता है। लेकिन, अब क्रिमनल जस्टिस सिस्टम एक कदम और आगे बढ़ता दिख रहा है, अदालतें भी जमानत में आरोपी को जांच अधिकारी से लोकेशन शेयर करने का आदेश देने लगी हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने नशीले पदार्थ रखने के एक मामले में जमानत देते हुए आरोपी को आदेश दिया है कि वह जांच अधिकारी के साथ लोकेशन शेयर करे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की ही एक अन्य पीठ जमानत के आदेश में लोकेशन शेयर करने की शर्त पर विचार कर रही है। उस मामले में कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा था कि जमानत की ऐसी शर्त प्रथम²ष्टया निजता के मौलिक अधिकार का हनन कर सकती है।

मौलिक अधिकार का हनन

सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने गत 2 नवंबर को नशीले पदार्थ रखने के आरोपी को जमानत देते वक्त लोकेशन शेयर करने की शर्त लगाई है। राजस्थान के इस मामले में पीठ ने आरोपी पूरनमल जाट को जमानत देते हुए आदेश में कहा कि आरोपी पर नशीले पदार्थ रखने के आरोप हैं। उसके पास से 35 किलो और 150 ग्राम डोडा पोस्त (पोपी स्ट्रा) बरामद हुआ। पापी स्ट्रा की कामर्शियल मात्रा कानून में 50 किलो ग्राम बताई गई है।

कोर्ट ने कहा कि ऐसे में बरामद प्रतिबंधित पदार्थ की मात्रा कानून में तय व्यवसायिक मात्रा से कम है। इसलिए कानून की धारा 37 में जमानत देने पर लगाया गया प्रतिबंध इस मामले में लागू नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि आरोपी सात महीन से ज्यादा समय से जेल में है। मामले में आरोपपत्र दाखिल हो चुका है। ऐसी परिस्थितियों में नहीं लगता कि आरोपी को ट्रायल के दौरान लगातार हिरासत में रखा जाना जरूरी है।

आरोपी को अलवर जिले से बाहर न जाने की अनुमति 

सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को जमानत देते हुए आदेश में कहा कि अभियुक्त को 23 मार्च 2023 को राजस्थान के अलवर जिले के नारायणपुर थाने में दर्ज मामले में जमानत दी जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विशेष अदालत की संतुष्टि की शर्तों पर अभियुक्त को जमानत पर रिहा कर दिया जाए। आदेश में कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी जमानत के दौरान अदालत की इजाजत के बगैर राजस्थान के अलवर जिले के बाहर नहीं जाएगा।

लोकेशन की जानकारी जांच अधिकारी को देगा 

अदालत ने आदेश में आगे कहा कि आरोपी जांच अधिकारी के मोबाइल फोन की पेयरिंग करके राउंड द क्लॉक अपनी लोकेशन जांच अधिकारी को उपलब्ध कराएगा। सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की एक अन्य पीठ ने पिछले माह अक्टूबर के पहले सप्ताह में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा एक आरोपी को जमानत देते वक्त मोबाइल की गुगल पिन लोकेशन शेयर करने के मामले में ने मौखिक रूप से ऐसी शर्त पर सवाल उठाया था। वह मामला मनी लॉड्रिंग का है जो कि शक्ति भोग फूड्स लिमिटेड के आंतरिक लेखा परीक्षक को जमानत दिये जाने से संबंधित है।

निजता के अधिकारी का उल्लंघन?

कोर्ट ने जमानत में ऐसी शर्त पर विचार करने से सहमति जताई थी। उस मामले में पीठ ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के वकील से कहा था कि आपको हमें ऐसी स्थिति के व्यावहारिक प्रभाव के बारे में बताना चाहिए। एक बार जब कोई व्यक्ति स्वतंत्र हो जाता है, तो कुछ शर्तें लगाई जाती हैं लेकिन यहां आप जमानत मिलने के बाद उसकी गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं, क्या यह निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं है।

ईडी के वकील का जवाब था कि पुराने समय में जब जमानत दी जाती थी तो आरोपी को हर सप्ताह जांच अधिकारी को रिपोर्ट करना होता था। यह केवल तकनीक है जो उसी चीज को सुविधाजनक बना रही है। पीठ ने कहा लेकिन यह आरोपी की गतिविधियों पर नजर रखने से अलग है। कोर्ट ने मामले को आगे विचार के लिए दिसंबर के लिए लगा दिया था। लेकिन दोनों मामले देखने से इतना जरूर है कि अब अदालतों ने जमानत देते वक्त आरोपी पर नजर बनाए रखने के लिए तकनीक का सहारा लेते हुए लोकेशन साझा करने की शर्तें लगाना शुरु कर दिया है।

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