मनी लॉड्रिंग केस में छत्तीसगढ़ के कारोबारी को अंतरिम जमानत, सुप्रीम कोर्ट ने इस वजह को बनाया आधार
सुप्रीम कोर्ट ने कोयला परिवहन पर अवैध उगाही से जुड़े मनी लॉड्रिंग मामले में गिरफ्तार छत्तीसगढ़ के एक कारोबारी को अंतरिम जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा कि आरोपित पहले ही एक साल और सात महीने की कैद काट चुका है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विश्वनाथन की पीठ ने ईडी को जांच की स्थिति का पता लगाने संबंधित सामग्री के साथ अतिरिक्त हलफनामा रिकॉर्ड पर लाने के लिए समय दिया।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कोयला परिवहन पर अवैध उगाही से जुड़े मनी लॉड्रिंग मामले में गिरफ्तार छत्तीसगढ़ के एक कारोबारी को अंतरिम जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा कि आरोपित पहले ही एक साल और सात महीने की कैद काट चुका है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विश्वनाथन की पीठ ने ईडी को जांच की स्थिति का पता लगाने और संबंधित सामग्री के साथ अतिरिक्त हलफनामा रिकॉर्ड पर लाने के लिए छह सप्ताह का समय दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आज की तारीख में याचिकाकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 384 या अवैध लाभ देने वाली किसी आपराधिक गतिविधि के तहत कोई अपराध दर्ज नहीं है।
याचिकाकर्ता का नाम प्राथमिकी में आरोपित के रूप में नहीं
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का नाम प्राथमिकी या आरोपपत्र में आरोपित के रूप में नहीं है। याचिकाकर्ता को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है, बशर्ते उन्हें रायपुर स्थित विशेष अदालत की संतुष्टि के लिए जमानती बॉन्ड प्रस्तुत करना होगा।छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के आदेश को दी थी चुनौती
पीठ सुनील कुमार अग्रवाल द्वारा छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने आठ अप्रैल को उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। मामले में याचिकार्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और विकास पाहवा पेश हुए।
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