Move to Jagran APP

हेट स्पीच मामले में अनुराग ठाकुर पर दर्ज हो FIR, बृंदा करात की याचिका पर SC ने दिल्ली पुलिस को जारी किया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने माकपा नेता बृंदा करात द्वारा दायर याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया जिसमें 2020 में दिल्ली दंगों के दौरान कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषणों के लिए भाजपा नेताओं अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई थी।

By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Mon, 17 Apr 2023 03:45 PM (IST)
Hero Image
माकपा नेता बृंदा करात की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
नई दिल्ली, एएनआई। सुप्रीम कोर्ट ने माकपा नेता बृंदा करात द्वारा दायर याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है। इस याचिका में 2020 में दिल्ली दंगों के दौरान कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषणों के लिए भाजपा नेताओं अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई थी।

दिल्ली पुलिस से तीन सप्ताह में मांगा जवाब

जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ ने शहर की पुलिस को नोटिस जारी किया और तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा। सुनवाई के दौरान पीठ ने पाया कि प्रथम दृष्टया मजिस्ट्रेट का यह कहना कि दोनों भाजपा नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए मंजूरी की आवश्यकता है, सही नहीं था।

दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले साल खारिज कर दी थी याचिका

पिछले साल 13 जून को, दिल्ली हाईकोर्ट ने माकपा नेताओं बृंदा करात और केएम तिवारी द्वारा भाजपा के दो सांसदों के खिलाफ उनके कथित घृणास्पद भाषणों के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा था कि कानून के तहत मौजूदा तथ्यों में एफआईआर दर्ज करने के लिए सक्षम प्राधिकारी से मंजूरी लेनी जरूरी है।

लोगों को उकसाने का आरोप

याचिकाकर्ताओं ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष अपनी शिकायत में दावा किया था कि ठाकुर और वर्मा ने लोगों को उकसाने की कोशिश की थी, जिसके परिणामस्वरूप दिल्ली में दो अलग-अलग विरोध स्थलों पर गोलीबारी की तीन घटनाएं हुईं।

भीड़ को नारा लगाने के लिए उकसाने का आरोप

याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि 27 जनवरी, 2020 को राष्ट्रीय राजधानी के रिठाला में एक रैली में, शाहीन बाग के सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों पर भड़कने के बाद, ठाकुर ने भीड़ को "देश के गद्दारों को, गोली मारो..." नारा लगाने के लिए उकसाया। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि वर्मा ने भी 28 जनवरी, 2020 को शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया था। ट्रायल कोर्ट ने 26 अगस्त, 2021 को याचिकाकर्ताओं की शिकायत को खारिज कर दिया था।