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सुप्रीम कोर्ट का राज्यसभा चुनाव नियम को चुनौती देने वाली याचिका पर सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस

जिन दलों के पास दस से कम विधायक हैं वे चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं खड़ा कर सकते क्योंकि उनके पास दस प्रस्तावक विधायक नहीं होंगे। याचिका में ऐसे नियमों को निरस्त करने की मांग की गई है।

By Bhupendra SinghEdited By: Updated: Mon, 16 Nov 2020 08:43 PM (IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने राज्यसभा चुनाव नियम को चुनौती देने वाली याचिका पर जारी किया नोटिस।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यसभा चुनाव में विधायक पर अपना वोट पार्टी प्रतिनिधि को दिखाने की बाध्यता के नियम को चुनौती देने वाली याचिका पर केन्द्र सरकार, चुनाव आयोग और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट मे यह याचिका गैर सरकारी संस्था लोकप्रहरी ने दाखिल की है।

राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव में 10 प्रस्तावक होने की अनिवार्यता के नियम को चुनौती

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने संस्था की ओर से पेश हुए संस्था के महासचिव एसएन शुक्ला की दलीलें सुनने के बाद सोमवार को ये नोटिस जारी किये। याचिका मे राज्यसभा चुनाव में मत पार्टी प्रतिनिधि को दिखाने के नियम के अलावा राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव मे 10 प्रस्तावक होने की अनिवार्यता के नियम को भी चुनौती दी गई है।

ओपेन बैलेट सिस्टम कंडेक्ट ऑफ इलेक्शन रूल ठीक नहीं 

याचिका में कहा गया है कि ओपेन बैलेट सिस्टम कंडेक्ट ऑफ इलेक्शन रूल 1961 का नियम 39एए ठीक नहीं है क्योंकि यह नियम कहता है कि राज्यसभा चुनाव में मत देने से पहले विधायक अपना वोट पार्टी के अधिक्रत एजेंट को दिखाएगा। अगर वह वोट एजेंट को नहीं दिखाता तो उसका वोट निरस्त होगा या गिना नहीं जाएगा।

निर्दलीय विधायक पर नियम लागू नहीं होता, पार्टी के विधायक के लिए नियम बाध्यकारी

याचिका में इस नियम को चुनौती देते हुए कहा गया है कि इससे विधायक को संविधान मे मिला राज्यसभा सदस्य चुनने का अधिकार बाधित होता है। यह भी कहा है कि यह नियम निर्दलीय और पार्टी विधायक के बीच भेदभाव करता है। क्योकि निर्दलीय विधायक पर यह नियम लागू नहीं होता जबकि किसी पार्टी के विधायक के लिए यह नियम बाध्यकारी है।

जिन दलों के पास दस से कम विधायक हैं वे चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं खड़ा कर सकते

इसके अलावा याचिका में राज्यसभा और विधानपरिषद चुनाव में खड़े होने के लिए दस प्रस्तावक होने की अनिवार्यता के नियम को भी चुनौती दी गई है। कहा गया है कि जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 39ए के परंतु (एए) में दस प्रस्तावक होने का दिया गया नियम ठीक नहीं है। क्योंकि इससे जिन दलों के पास दस से कम विधायक हैं वे चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं खड़ा कर सकती क्योंकि उनके पास दस प्रस्तावक विधायक नहीं होंगे। निर्दलीय के लिए भी मुश्किल है। इस नियम से सिर्फ बड़े दलों को जिनके ज्यादा विधायक होते हैं उन्हें ही फायदा होगा। याचिका में दोनों नियमों को निरस्त करने की मांग की गई है।