Supreme Court: शिंदे सरकार का क्या होगा? दिल्ली सरकार विवाद पर आज आएगा फैसला; बनेगा नजीर
Supreme Court Judgment पहला फैसला दिल्ली और केंद्र के बीच चल रहे विवाद कि प्रशासनिक सेवाओं पर किसका नियंत्रण होना चाहिए और दूसरा फैसला 2022 के महाराष्ट्र राजनीतिक संकट को लेकर सुनाया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ये फैसले सुनाएगी।
By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Thu, 11 May 2023 06:00 AM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को दो अहम फैसले सुनाएगा। महाराष्ट्र और दिल्ली को लेकर आने वाले इन फैसलों पर सबकी नजर रहेगी। पहला फैसला दिल्ली और केंद्र के बीच चल रहे विवाद कि प्रशासनिक सेवाओं पर किसका नियंत्रण होना चाहिए और दूसरा फैसला 2022 के महाराष्ट्र राजनीतिक संकट को लेकर सुनाया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ये फैसले सुनाएगी।
इस पीठ के अन्य सदस्य जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा है। सबसे पहले राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण से संबंधित दिल्ली सरकार की याचिका पर फैसला सुनाएगा। पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार की ओर से क्रमश: सालिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की पांच दिन दलीलें सुनने के बाद 18 जनवरी को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
संविधान पीठ का गठन दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर केंद्र और दिल्ली सरकार की विधायी एवं कार्यकारी शक्तियों के दायरे से जुड़े कानूनी मुद्दे की सुनवाई के लिए किया गया था। पिछले साल छह मई को शीर्ष कोर्ट ने इस मुद्दे को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेज दिया था। उधर, महाराष्ट्र में पिछले साल हुई राजनीतिक उठापटक और सत्ता परिवर्तन से जुड़े मसले पर दोनों प्रतिद्वंद्वी गुटों उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर से दायर विभिन्न याचिकाओं पर भी सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को फैसला सुनाएगा।
पिछले साल एकनाथ शिंदे और उनके गुट के कुछ विधायकों ने बगावत कर ली थी और उसके बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार गिर गई थी। संविधान पीठ ने बीते 16 मार्च को संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में अंतिम सुनवाई 21 फरवरी को शुरू हुई थी और नौ दिनों तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनी गई थीं।शीर्ष अदालत ने सुनवाई के अंतिम दिन आश्चर्य व्यक्त किया था कि वह उद्धव ठाकरे की सरकार को कैसे बहाल कर सकती है जबकि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने सदन में बहुमत परीक्षण का सामना करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। ठाकरे गुट ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि वह 2016 के अपने उसी फैसले की तरह उनकी सरकार बहाल कर दे, जैसे उसने अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री नबाम तुकी की सरकार बहाल की थी।
फैसला तय करेगा कि लोकतंत्र जिंदा है या नहींसंजय राउत हमेशा से सुप्रीम कोर्ट का फैसला अपने पक्ष में आने के प्रति आशांवित रहे विपक्षी दल की उम्मीदें भी इस फैसले पर ही टिकी हैं। उद्धव ठाकरे गुट के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा है कि यह फैसला तय करेगा कि लोकतंत्र जिंदा है या नहीं।