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हिंदुत्व शब्द की जगह 'भारतीय संविधानत्व' के इस्तेमाल की मांग, SC में याचिकाकर्ता की गुहार पर क्या बोले CJI चंद्रचूड़?

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हिंदुत्व शब्द की जगह भारतीय संविधानात्व या भारतीय संविधान शब्द के इस्तेमाल को लेकर याचिका दायर की गई। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। डॉ. एसएन कुंद्रा ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। जब याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दलीलें पेश करने की कोशिश की तो सीजेआई ने नाराजगी जाहिर की।

By Agency Edited By: Piyush Kumar Updated: Mon, 21 Oct 2024 01:05 PM (IST)
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सुप्रीम कोर्ट में हिंदुत्व शब्द की जगह 'भारतीय संविधानत्व' के इस्तेमाल की मांग।(फोटो सोर्स: जागरण)

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (21 अक्टूबर) को 'हिंदुत्व' शब्द की जगह भारतीय संविधानात्व या भारतीय संविधान रखने की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

सीजेआई ने याचिकाकर्ता की दलील पर जताई नाराजगी

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। डॉ. एसएन कुंद्रा ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। जब याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दलीलें पेश करने की कोशिश की तो सीजेआई ने नाराजगी जाहिर की।

याचिकाकर्ता ने कहा कि हिंदुत्व शब्द, संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ अधिक निकटता से जुड़ा हुआ है।

यह न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपोय: सीजेआई 

याचिकाकर्ता की दलील पर सीजेआई ने कहा कि यह पूरी तरह से न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। उन्होंने कहा, नहीं सर हम इस मामले पर सुनवाई नहीं करेंगे। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिका खारिज कर दी।

'आपके पक्ष में फैसला दे तो सुप्रीम कोर्ट अद्भुत'

इससे पहले मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि जनता की अदालत के रूप में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका बनाए रखी जानी चाहिए, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि वह संसद में विपक्ष की भूमिका निभाए।

सीजेआई ने कहा कि कानूनी सिद्धांत की असंगति या त्रुटि के लिए कोई व्यक्ति न्यायालय की आलोचना कर सकता है। हालांकि, परिणामों के संदर्भ में उसकी भूमिका को नहीं देखा जाना चाहिए।

सीजेआई ने आगे कहा कि सर्वोच्च अदालत जनता की अदालत है। मुझे लगता है कि लोगों की अदालत के रूप में शीर्ष न्यायालय की भूमिका को भविष्य के लिए बनाए रखी जानी चाहिए। हालांकि, जनता की अदालत होने का मतलब यह नहीं है कि हम संसद में विपक्ष की भूमिका निभाएं।

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