Economic Basis of Quota: सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक आधार पर आरक्षण को ठहराया सही, कहा- सरकार इसी पर बनाती है नीतियां
मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ को बुधवार को कई वकीलों ने बताया कि एक परिवार की आर्थिक स्थिति को केवल आर्थिक रूप से कमजोर तबके (ईडब्ल्यूएस) के आधार पर कोटे का निर्धारण करना असंवैधानिक है।
By Amit SinghEdited By: Updated: Thu, 15 Sep 2022 04:30 AM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसियां: सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर तबके को कालेजों में दाखिले और नौकरियों में दस प्रतिशत आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले का एक तरह से मौखिक समर्थन कर दिया। केंद्र के इस फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने कहा कि आर्थिक आधार पर यह सुनिश्चित कर सरकारी नीतियां लक्षित समूह तक पहुंचाना गैरकानूनी नहीं है।
ईडब्ल्यूएस के आधार पर कोटे को बताया था असंवैधानिक
मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ को बुधवार को कई वकीलों ने बताया कि एक परिवार की आर्थिक स्थिति को केवल आर्थिक रूप से कमजोर तबके (ईडब्ल्यूएस) के आधार पर कोटे का निर्धारण करना असंवैधानिक है। चूंकि संविधान के तहत गरीबी उन्मूलन योजनाओं को इस आधार पर अनुदान मंजूर नहीं किया जाता है।
आरक्षण के लिए आर्थिक आधार जायज
वकीलों ने कहा कि ईडब्ल्यूएस कोटा पूरी तरह से अवांछित, अवैध और असंवैधानिक है। चूंकि इंदिरा स्वाहाने और मंडल फैसले में कहा गया था कि आर्थिक स्थिति आरक्षण मंजूर करने का अकेला आधार नहीं हो सकता है। जिरह सुनने के बाद जस्टिस दिनेश महेश्वरी, एस.रवींद्र भट, बेला एम.त्रिवेदी और जेबी पार्डीवाला की खंडपीठ ने कहा कि आरक्षण के लिए आर्थिक आधार जायज है और इस आधार पर वर्गीकरण तार्किक स्वरूप है। यह गैरकानूनी नहीं है। सरकार आर्थिक आधार पर नीतियां बनाती है ताकि उसका लाभ लक्षित लोगों तक पहुंचती है।मामले में गुरुवार को फिर होगी सुनवाई
याचिकाकर्ताओं में से एक के लिए पेश वकील रवि वर्मा कुमार ने अपनी दलील के पक्ष में आरक्षण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए कहा कि चपकम दोरायरजान मामले में सर्वोच्च अदालत के फैसले से संविधान का पहला संशोधन हुआ था। इस संशोधन के लिए केंद्र सरकार ने कहा था कि राज्य कोटा देने के लिए कई कदम उठा सकते हैं। इस मामले में सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी।