भड़काऊ भाषणों पर रोक के लिए विधि आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका
चुनाव के दौरान भड़काऊ बयानबाजियों और भाषणों पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से विधि आयोग की 267 वीं रिपोर्ट को लागू कराने की मांग की गई है।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Thu, 27 Feb 2020 11:09 PM (IST)
नई दिल्ली, आइएएनएस। चुनाव के दौरान भड़काऊ भाषणों पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से विधि आयोग की 267 वीं रिपोर्ट को लागू कराने की मांग की गई है। शीर्ष अदालत में दायर याचिका में कहा गया है कि भड़काऊ भाषणों से जान-माल का भारी नुकसान होता है। भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने यह याचिका दायर की है। उन्होंने कहा है कि भड़काऊ भाषण समुदायों के लिए नुकसानदेह और विभाजनकारी होते हैं और समाज के विकास को बाधित करते हैं।
उन्होंने लोकसभा और विधानसभा के साथ ही स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान भी भड़काऊ भाषणों पर रोक लगाने की मांग की है और इसे संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के खिलाफ बताया है। विधि आयोग ने भड़काऊ भाषणों पर रोक लगाने के लिए चुनाव आयोग को और ज्यादा सशक्त बनाने की सिफारिश की है। विधि आयोग ने 23 मार्च, 2017 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी, जिसे अभी तक लागू नहीं किया गया है। भाजपा के नेता एवं वकील अश्विनी कुमार की इस जनहित याचिका पर अगले कुछ दिनों में सुनवाई होने की उम्मीद है। मालूम हो कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में उपद्रवियों द्वारा की गई हिंसा के बीच चंद नेताओं के कथित नफरत भरे भाषणों पर दिल्ली हाई कोर्ट के कठोर रुख अपनाने के बाद ऐसी जनहित याचिका का दाखिल किया जाना बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दिल्ली में भड़की हिंसा में अभी तक कम से कम 35 लोगों की मौत हो चुकी है।
मालूम हो कि विधि आयोग ने नफरत फैलाने वाले भाषणों पर लगाम के लिए साल 2017 के मार्च महीने में यह रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2014 में विधि आयोग से कहा था कि यदि वह जरूरत समझे तो नफरत फैलाने वाले भाषणों और बयानों को परिभाषित करे। विधि आयोग ने भादंसं और दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन कर धारा 153सी (घृणा को भड़काने पर रोक) और धारा 505ए (हिंसा के लिए उकसाना) जैसी धाराओं को जोड़ने की सिफारिश की थी।