Supreme Court: अब पारदर्शिता की ओर बढ़ी कलेजियम, खुल कर बताने लगी जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया और आधार
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति की कलेजिमय व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट के 1993 और 1998 के फैसले से लागू है लेकिन पहले यह किसी को पता नहीं चलता था कि कलेजिमय ने किस आधार पर चयन कर नियुक्ति की सिफारिश की है। File Photo
By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Sat, 25 Feb 2023 10:17 PM (IST)
माला दीक्षित, नई दिल्ली। न्यायाधीशों की नियुक्ति की कलेजियम व्यवस्था को लेकर पिछले दिनों काफी विवाद रहा है और न्यायाधीश के चुनाव की प्रक्रिया में गोपनीयता को लकेर सरकार व न्यायपालिका के बीच सार्वजनिक बहस भी होती रही है, जबकि न्यायपालिका इस व्यवस्था की तरफदारी करते आये हैं, लेकिन अब कलेजियम ने पारदर्शिता की ओर कदम बढ़ा दिये हैं। पिछले सप्ताह कलेजियम ने कुछ उच्च न्यायालयों के एडीशनल जजों को स्थाई करने की सिफारिश में जितनी बातें और प्रक्रिया बताई है उतनी पहले नहीं बताई जाती थी।
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति की कलेजिमय व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट के 1993 और 1998 के फैसले से लागू है लेकिन पहले यह किसी को पता नहीं चलता था कि कलेजिमय ने किस आधार पर चयन कर नियुक्ति की सिफारिश की है। प्रक्रिया पहले भी तय थी और उसका पालन भी होता था, लेकिन आम जनता के बीच सार्वजनिक कुछ नहीं होता था।सुप्रीम कोर्ट कलेजियम ने तीन अक्टूबर 2017 को पारदर्शिता की ओर पहला कदम बढ़ाया और फैसला लिया कि कलेजियम द्वारा सरकार को भेजी गई नियुक्ति की सिफारिशें सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट पर डाली जाएंगी और तब से कलेजियम की बैठक में लिए गए फैसले का एक नोट वेबसाइट पर डाला जाने लगा। शुरू में नोट में काफी ब्योरा होता था जो बाद में धीरे धीरे नामों की संस्तुति की लिस्ट के साथ एक दो पैरे तक सिमट गया।
इसके बाद जब इस वर्ष कलेजिमय में पारदर्शिता की कमी को लेकर सवाल उठे तो कलेजिमय ने प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाते हुए खुल कर चयन प्रक्रिया और चयन का आधार बताना शुरू कर दिया है। हाल में गत 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट कलेजिमय ने इलाहाबाद, दिल्ली, मद्रास और बांबे हाई कोर्ट के एडीशनल जजों को स्थाई करने की सिफारिश में बताया कि राज्य के मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने उन सिफारिशों से सहमति जताई इसके बाद कलेजिमय नें स्थाई नियुक्ति के लिए विचाराधीन नामों को पद के लायक होने और उनकी पद के लिए उपयुक्तता को परखा।
इसके लिए सुप्रीम कोर्ट कलेजिमय के 26 अक्टूबर 2017 के रिज्यूलूशन के मुताबिक एक कमेटी गठित की गई जिसने स्थायी न्यायाधीश बनाए जाने के लिए विचाराधीन एडीशनल जजों के द्वारा दिये गये फैसलों का आंकलन कर रिपोर्ट सौंपी। फिर सुप्रीम कोर्ट कलेजियम ने उन न्यायाधीशों की पद के लिए उपयुक्तता और काबिलियत के संबंध में रिकार्ड पर पेश सामग्री का परीक्षण और आंकलन किया जिसमें उन लोगों के बारे में फाइल पर न्याय विभाग (डिपार्टमेंट आफ जस्टिस) की टिप्पणियां भी शामिल थीं।
इसी तरह कलेजियम ने पिछले दिनों चार वकीलों को हाई कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने की अपनी सिफारिश दोहराते हुए उन लोगों की नियुक्ति में सरकार द्वारा उठाए गए सवालों को तर्क सहित खारिज करने का ब्योरा सार्वजनिक किया था यहां तक कि उनके बारे में रा और आइबी की रिपोर्ट के अंश भी सार्वजनिक किये थे। जिस पर कानून मंत्री ने आपत्ति भी जताई थी और कहा था कि समय आने पर वह इस पर बोलेंगे।