Patanjali Case: 'अपना घर दुरुस्त करो, गैरजरूरी महंगी दवाएं लिखते हैं डॉक्टर', सुप्रीम कोर्ट ने IMA पर भी उठाया सवाल
Supreme Court On Patanjali Case सुनवाई के दौरान कोर्ट में आइएमए की पैरोकारी कर रहे वकील पीएस पटवालिया से कहा कि किसी की ओर उंगली उठाते वक्त ध्यान रखें कि चार उंगलियां आपकी ओर हैं। आइएमए के सदस्यों के अनैतिक आचरण की कई बार शिकायतें आपके पास आई होंगी उन पर क्या कार्रवाई की गई। पीठ ने कहा कि हम आपकी तरफ भी निशाना कर सकते हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पतंजलि के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन की शिकायत करने वाली इंडियन मेडिकल एसोशिएसन (आइएमए) को भी सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को घेर लिया। कोर्ट ने आइएमए से कहा कि उन्हें भी अपना घर दुरुस्त करने की जरूरत है। उन्हें अपने सदस्यों के अनैतिक आचरण पर ध्यान देना चाहिए, जो महंगी और गैरजरूरी दवाइयां लिखते हैं। इतना ही नहीं, कोर्ट ने सुनवाई का दायरा बढ़ाते हुए एफएमसीजी कंपनियों को भी शामिल कर लिया है।
बिना शर्त सार्वजनिक माफी मांगी गई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एफएमसीजी भी भ्रामक विज्ञापन दे रही हैं, जो जनता को भ्रमित कर रहे हैं। शिशुओं, स्कूल जाने वाले बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं। कोर्ट ने केंद्र सरकार से राज्यों को मेडिसिन एंड ड्रग्स एक्ट के नियम 170 के तहत कार्रवाई न करने के लिए अगस्त 2023 में लिखे गए पत्र पर जवाब मांगा है। उधर बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने जब कोर्ट को बताया कि उनकी ओर से अखबारों में बिना शर्त सार्वजनिक माफी मांगी गई है तो कोर्ट ने सवाल किया कि क्या आपकी माफी का आकार भी आपके विज्ञापन जितना बड़ा है।
लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा जनहित का मुद्दा
कोर्ट ने कहा कि माफी बड़ी छपनी चाहिए जो दिखाई दे। ये टिप्पणियां और आदेश न्यायमूर्ति हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन के मामले में दाखिल आइएमए की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए। कोर्ट ने मंगलवार को यह भी साफ किया कि कोर्ट के निशाने पर कोई विशेष कंपनी या व्यक्ति नहीं है। पीठ ने कहा कि यह लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा जनहित का मुद्दा है। उपभोक्ताओं के व्यापक हित का मुद्दा है। लोगों को पता होना चाहिए कि वे किस रास्ते पर जा रहे हैं। कैसे और क्यों उन्हें गुमराह किया जा सकता है। अधिकारी इसे रोकने के लिए कैसे काम कर रहे हैं।कोर्ट ने आइएमए से पूछे तीखे सवाल
सुनवाई के दौरान कोर्ट में आइएमए की पैरोकारी कर रहे वकील पीएस पटवालिया से कहा कि किसी की ओर उंगली उठाते वक्त ध्यान रखें कि चार उंगलियां आपकी ओर हैं। आइएमए के सदस्यों के अनैतिक आचरण की कई बार शिकायतें आपके पास आई होंगी, उन पर क्या कार्रवाई की गई। पीठ ने कहा कि हम आपकी तरफ भी निशाना कर सकते हैं। पटवालिया ने कहा कि वह इस पर ध्यान देंगे। पटवालिया के सुझाव पर कोर्ट ने नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) को भी मामले में पक्षकार बनाया।
एमएमसीजी पर भी निगाह टेढ़ी
पीठ ने कहा ड्रग एंड मैजिक रेमिडी एक्ट को लागू करने पर बारीकी से विचार किये जाने की जरूरत है। यह मामला सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मौजूद प्रस्तावित अवमाननाकर्ता (बाबा रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि) तक ही सीमित नहीं बल्कि सभी फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) कंपनियों तक फैला हुआ है, जो कई बार भ्रामक विज्ञापन जारी करती हैं जिससे जनता भ्रमित होती है। विशेष तौर पर शिशु, बच्चे प्रभावित होते है और बुजुर्ग इन भ्रमित विज्ञापनों को देखकर दवाइयां लेते हैं। जनता को धोखे में नहीं रहने दिया जा सकता।भ्रामक विज्ञापनों पर नजर जरूरी
कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य की लाइसेंसिंग ऑथोरिटी से कहा कि वे भ्रामक विज्ञापनों से निपटने के लिए खुद को सक्रिय करें। पीठ ने कहा कि प्रिन्ट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जारी होने वाले भ्रामक विज्ञापनों को देखते हुए जरूरी हो जाता है कि मामले में उपभोक्ता कल्याण मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय व सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय को पक्षकार बनाया जाए जो ड्रग एवं मैजिक रेमिडी एक्ट, ड्रग एवं कॉस्मेटिक एक्ट व कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट का उल्लंघन देखें।