Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

सुप्रीम कोर्ट ने चित्तौड़गढ़ किले के संरक्षण के दिए आदेश, पांच KM के दायरे में किसी भी तरह का विस्फोट करने पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के एएसआई संरक्षित ऐतिहासिक महत्व के चित्तौड़गढ़ किले के संरक्षण के आदेश दिये हैं। कोर्ट ने किले के पांच किलोमीटर के दायरे में खनन आदि के लिए किसी भी तरह के विस्फोट पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआरआई रुड़की की रिपोर्ट को देखने और सभी पक्षो की दलीलें सुनने के बाद ये आदेश दिये।

By Jagran News Edited By: Anurag GuptaUpdated: Sun, 14 Jan 2024 08:30 PM (IST)
Hero Image
सुप्रीम कोर्ट ने चित्तौड़गढ़ किले के संरक्षण के दिए आदेश (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के एएसआई संरक्षित ऐतिहासिक महत्व के चित्तौड़गढ़ किले के संरक्षण के आदेश दिये हैं। कोर्ट ने किले के पांच किलोमीटर के दायरे में खनन आदि के लिए किसी भी तरह के विस्फोट पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने दो सप्ताह के भीतर एक विशेषज्ञ समिति का गठन करने का निर्देश दिया है, जो पर्यावरण प्रदूषण और पांच किलोमीटर के दायरे से बाहर खनन के लिए किये जाने वाले विस्फोट के किले पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करेगी।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने गत 12 जनवरी को दिए आदेश में चित्तौड़गढ़ किले पर खनन के लिए किये जाने वाले विस्फोट और आपपास के प्रदूषण के किले पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रति चिंता जताई है। कोर्ट ने किले पर विस्फोट के प्रभाव व अन्य प्रदूषण के प्रभाव का अध्ययन के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (इंडियन स्कूल आफ माइन्स) धनबाद झारखंड के चेयरमैन एक विशेष टीम गठित करेंगे जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होंगे जैसे सिविल इंजीनियरिंग, भूकंप इंजीनियरिंग, स्ट्रक्टचरल जिओलाजी और खनन इंजीनियरिंग के लोग होंगे। विशेषज्ञ समिति का गठन दो सप्ताह में किया जाएगा।

यह भी पढ़ें: 'मुआवजा बढ़ाने पर विचार करे केंद्र', सुप्रीम कोर्ट ने हिट-एंड-रन दुर्घटनाओं को लेकर दिया आदेश

किले में दरारें आने की क्या है वजह?

कोर्ट ने यह भी कहा है कि राजस्थान स्टेट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (RSPCB) के चीफ इंजीनियर समिति के मेंबर सेक्रेटरी होंगे। यह विशेषज्ञ कमेटी अध्ययन करेगी कि पांच किलोमीटर के दायरे के बाहर होने वाले विस्फोट का क्या किले की इमारत पर कोई प्रभाव पड़ता है। किले की उम्र के अलावा वहां दरारें आने के और क्या कारण हैं। क्या अनियंत्रित संख्या में पर्यटकों का किले की इमारत पर कोई विपरीत प्रभाव पड़ता है यदि हां तो इसे रेगुलेट करने के क्या सुझाव हैं। कोर्ट ने कहा,

क्या किले के आसपास की बसावट और वहां के ट्रैफिक का किले की इमारत पर कोई विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। यदि हां तो उससे निपटने के क्या सुझाव हो सकते हैं। किले की मजबूती बनाए रखने और उसमें आयी दरारों की मरम्मत के लिए क्या सामान्य उपाय और सुझाव हो सकते हैं। समिति वायु, शोर, भूजल आदि के प्रदूषण को और खनन प्रक्रिया के पूरे साइकिल को शामिल करते हुए किले का समग्र पर्यावरण प्रभाव आंकलन करेगी।

पांच जुलाई तक दाखिल करें रिपोर्ट

कोर्ट ने कमेटी को पांच जुलाई तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले पर नौ जुलाई को फिर सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने खनन के लिए किये जाने वाले विस्फोट से पीक पार्टिकल्स विलोसिटी (PPV) के किले की इमारत पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए आदेश दिया है कि किले के पांच किलोमीटर के दायरे में विस्फोट करके खनन नहीं किया जाएगा। पांच किलोमीटर के दायरे के अंदर किसी तरह का विस्फोट नहीं किया जाएगा। हालांकि, इस दायरे के भीतर मैनुअल या मैकेनिकल खनन संचालित हो सकता है, लेकिन इसके लिए खनन पट्टेदार के पास कानून के तहत वैध पट्टा होना चाहिए।

SC में 2012-13 से लंबित है यह मामला

सुप्रीम कोर्ट ने चित्तौड़गढ़ किले के 10 किलोमीटर में किसी भी तरह के खनन पर रोक लगाने वाले राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल बिड़ला कारपोरेशन लिमिटेड व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। सुप्रीम कोर्ट में यह मामला 2012-2013 से लंबित है।

यह भी पढ़ें: NCR से बाहर वालों के पास भी अधिकार, उन्हें भी प्रदूषण से मुक्त रहना है- सुप्रीम कोर्ट

रिपोर्ट में बंदरों के आतंक की भी बात

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआरआई रुड़की की रिपोर्ट को देखने और सभी पक्षो की दलीलें सुनने के बाद ये आदेश दिये। रुड़की रिपोर्ट में किले की दुर्दशा के अन्य कारण भी दिये गए थे जैसे कि धन की समस्या, पर्यटकों की संख्या, अवांछित वनस्पति का बढ़ना और मूर्तियों का विरूपित होना भी किले की दुर्दशा में योगदान दे रहे हैं। साथ ही किला क्षेत्र में कूड़ा कचरा और बंदरों का आतंक होने की भी बात कही गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में राजस्थान सरकार और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह कचरा प्रबंधन अधिनियम 2016 को सख्ती से लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाए साथ ही बंदरों का आतंक रोकने और आसपास कूड़ा कचरा फेकना रोकने के लिए कदम उठाएंगे।