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Triple Talaq: लंबित याचिकाओं के साथ सुनी जाएगी तीन तलाक कानून के विरुद्ध नई याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

तत्काल तीन तलाक की प्रथा को दंडनीय अपराध बनाने वाले 2019 के कानून के कुछ प्रविधानों की वैधता को चुनौती देने वाली नई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पहले से लंबित याचिकाओं के साथ संलग्न करने का आदेश दिया। संक्षिप्त सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने सवाल ने किया कि इस कानून के प्रविधान पुरुषों के अधिकारों का किस तरह हनन करते हैं।

By Jagran News Edited By: Abhinav AtreyUpdated: Fri, 16 Feb 2024 10:27 PM (IST)
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लंबित याचिकाओं के साथ सुनी जाएगी तीन तलाक कानून के विरुद्ध नई याचिका। (फाइल फोटो)
पीटीआई, नई दिल्ली। तत्काल तीन तलाक की प्रथा को दंडनीय अपराध बनाने वाले 2019 के कानून के कुछ प्रविधानों की वैधता को चुनौती देने वाली नई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पहले से लंबित याचिकाओं के साथ संलग्न करने का आदेश दिया।

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने आजमगढ़ निवासी आमिर रश्दी मदनी द्वारा दायर नई याचिका पर लंबित याचिकाओं के साथ सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की जिन पर 2019 में केंद्र को नोटिस जारी किए गए थे।

पुरुषों के अधिकारों का कैसे हनन करते हैं प्रविधान- सीजेआई

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने सवाल ने किया कि इस कानून के प्रविधान पुरुषों के अधिकारों का किस तरह हनन करते हैं। इस पर मदनी के वकील ने कहा कि मुस्लिम महिलाएं (विवाह के अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 तत्काल तीन तलाक को अपराध बनाता है और पुरुषों के लिए दंड का प्रविधान करता है।

कानून की धारा-3 और 4 परस्पर विरोधी

उन्होंने दावा किया कानून की धारा-3 और 4 परस्पर विरोधी हैं। धारा-3 तीन तलाक को अवैध बताती है और धारा-4 में इस तरह से तत्काल तीन तलाक देने पर पति के लिए तीन वर्ष कारावास व जुर्माने का प्रविधान किया गया है। इस मुद्दे पर पहले से जमीयत उलमा ए हिंद और समस्त केरल जमीयत उल उलमा नामक संगठनों की याचिकाएं शीर्ष अदालत में लंबित हैं।

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