अब बिना शादी के पैदा हुए बच्चों को भी मिल सकेगा माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि अमान्य विवाह (Invalid Marriages) के बच्चों को माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है। शीर्ष कोर्ट ने यह भी कहा कि अमान्य विवाह के बच्चे हिंदू कानून के तहत माता-पिता की संपत्ति में अधिकार का दावा कर सकते हैं। हिंदू कानून के अनुसार अमान्य विवाह में पुरुष और महिला को पति और पत्नी का दर्जा नहीं मिलता।
By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Fri, 01 Sep 2023 03:03 PM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (1 सितंबर) को बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि "अमान्य विवाह" (Invalid Marriages) के बच्चों को माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है। शीर्ष कोर्ट ने यह भी कहा कि अमान्य विवाह के बच्चे हिंदू कानून के तहत माता-पिता की संपत्ति में अधिकार का दावा कर सकते हैं।
हिंदू कानून के अनुसार, शून्य या अमान्य विवाह में पुरुष और महिला को पति-पत्नी का दर्जा नहीं मिलता है। हालांकि, शून्यकरणीय विवाह में उन्हें पति और पत्नी का दर्जा प्राप्त है। शून्य विवाह में, विवाह को रद्द करने के लिए शून्यता की किसी डिक्री की जरूरत नहीं होती है। जबकि शून्यकरणीय विवाह में शून्यता की डिक्री की आवश्यकता होती है। शून्य विवाह एक ऐसा विवाह है जो शुरुआत से ही अमान्य है जैसे कि विवाह अस्तित्व में नहीं आया हो।
कोर्ट का फैसला 2011 की याचिका पर आया है
शीर्ष कोर्ट का फैसला 2011 की उस याचिका पर आया है जो इस जटिल कानूनी मुद्दे से संबंधित थी कि क्या गैर-वैवाहिक बच्चे हिंदू कानूनों के तहत अपने माता-पिता की पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी के हकदार हैं।