सुप्रीम कोर्ट ने NEET का शहर और केंद्रवार परिणाम घोषित करने का दिया आदेश, जानिए काउंसलिंग पर कब आ सकता है फैसला
NEET UG Supreme Court Hearing सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को नीट मामले पर सुनवाई करते हुए एनटीए को आदेश दिया कि वह शहर और केंद्रवार परिणाम फिर से घोषित करे और इसे वेबसाइट पर उपलब्ध कराए। इसके लिए कोर्ट ने एनटीए को शनिवार दोपहर 12 बजे तक का समय दिया है। इससे पहले कोर्ट ने परीक्षा को लेकर एनटीए और सरकार से कई सवाल पूछे।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को आदेश दिया कि वह अभ्यर्थियों की पहचान छुपा कर नीट-यूजी के केंद्रवार और शहरवार रिजल्ट शनिवार दोपहर 12 बजे तक जारी करे। साथ ही कहा कि वह इसे वेबसाइट पर जारी करे, ताकि सभी इसे देख सकें।
वैसे विवादों में घिरा नीट-यूजी रद्द होगा या नहीं, इसे लेकर अभी भी संशय है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट सोमवार को फिर से मामले की सुनवाई करने वाला है। उस दिन कोर्ट काउंसलिंग के बारे में भी कोई निर्णय कर सकता है। अभी संभवत: 24 जुलाई से काउंसलिंग शुरू होने जा रही है।
पांच मई को हुई थी परीक्षा
मेडिकल कोर्सों में प्रवेश पाने के लिए नीट-यूजी देशभर के विभिन्न केंद्रों पर पांच मई को आयोजित हुआ था। इसमें 23 लाख 33 हजार अभ्यर्थी बैठे थे। परीक्षा के बाद से ही पेपर लीक और गड़बडि़यों की बात उठने लगी थी। सुप्रीम कोर्ट में दो दर्जन से ज्यादा याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें पूरी परीक्षा रद्द कर इसे नए सिरे से कराने और कोर्ट की निगरानी में गड़बडि़यों की जांच कराने की मांग की गई है।हालांकि कुछ अभ्यर्थियों ने दोबारा परीक्षा का विरोध भी किया है। देशभर में सरकारी और प्राइवेट कालेजों को मिलाकर मेडिकल कोर्सों की कुल 1,08,000 सीटें हैं, जिन पर इस परीक्षा की मेरिट के आधार पर दाखिला मिलता है। केंद्र और यह परीक्षा आयोजित कराने वाली एजेंसी एनटीए ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में पूरी परीक्षा रद्द करने का विरोध किया है और कहा है कि इससे ईमानदार मेहनती छात्रों के हित प्रभावित होंगे।
चुनिंदा जगहों पर हुई गड़बड़ियां: NTA
एनटीए का कहना है कि पेपर लीक और गड़बड़ी की कुछ चुनिंदा ही घटनाएं हैं। कोई सिस्टेमेटिक फेल्योर नहीं है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने छात्रों के वकील से कहा कि आपको साबित करना होगा कि परीक्षा में व्यापक तौर पर गड़बड़ियां हुई हैं और पेपर लीक का व्यापक प्रभाव हुआ है, जिसके कारण दोबारा परीक्षा कराए जाने की जरूरत है।पीठ ने कहा कि दोबारा परीक्षा तभी कराई जा सकती है, जबकि यह निष्कर्ष निकलता हो कि पूरी परीक्षा प्रभावित हुई है। छात्रों के वकील ने जब पेपर लीक और गड़बडि़यों का आरोप लगाते हुए पटना, हजारीबाग और गोधरा के उदाहरण दिए तो कोर्ट की टिप्पणी थी कि प्रथम दृष्टया लगता है कि पेपर लीक की घटना पटना और हजारीबाग तक सीमित थी, ऐसी कोई घटना गोधरा में नहीं हुई थी।टेलीग्राम चैनल पर पेपर लीक होने और व्यापक रूप से पेपर सर्कुलेट होने की दलील पर सीजेआइ चंद्रचूड़ ने कहा कि आपको ध्यान रखना होगा कि जिसने भी ऐसा किया, उसका उद्देश्य इसे राष्ट्रीय स्तर पर फैलाने का नहीं था। ऐसा दिखता है कि उन लोगों ने ऐसा पैसा बनाने के लिए किया। वे परीक्षा को बदनाम नहीं करना चाहते थे।