Supreme Court: छात्र की पिटाई मामले में शिक्षिका पर केस की मंजूरी पर तुरंत फैसला करे यूपी सरकार- कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक स्कूली शिक्षिका के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी दे दी। इसके साथ ही इस संबंध में सरकार को तुरंत फैसला करने का सोमवार (30 अक्टूबर) को निर्देश दिया। शिक्षिका पर आरोप है कि उसने एक मुस्लिम छात्र को अपने अन्य छात्रों से पिटवाया। शिक्षिका ने छात्रों से कहा कि छात्र होमवर्क पूरा नहीं करने वाले मुस्लिम छात्र को थप्पड़ मारें।
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक स्कूली शिक्षिका के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी दे दी। इसके साथ ही इस संबंध में सरकार को तुरंत फैसला करने का सोमवार (30 अक्टूबर) को निर्देश दिया। शिक्षिका पर आरोप है कि उसने एक मुस्लिम छात्र को अपने अन्य छात्रों से पिटवाया।
शिक्षिका ने छात्रों से कहा कि छात्र होमवर्क पूरा नहीं करने वाले मुस्लिम छात्र को थप्पड़ मारें। कोर्ट को सूचित किया गया कि शिक्षिका तृप्ति त्यागी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 295 ए के साथ ही किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) कानून 2015 की धारा 75 के तहत आरोप लगाए गए हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 295 ए जानबूझकर किए जाने वाले दुर्भावनापूर्ण कृत्यों से संबंधित है, जिसका मकसद किसी व्यक्ति या समूह की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना है।
तुरंत फैसला करने का निर्देश देते हैं- कोर्ट
किशोर न्याय कानून की धारा 75 किसी ऐसे संगठन की ओर से नियुक्त व्यक्ति द्वारा किसी बच्चे पर हमले या दुर्व्यवहार से संबंधित है, जिसपर बच्चे की देखभाल एवं सुरक्षा की जिम्मेदारी है। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने मेरठ रेंज के पुलिस महानिरीक्षक द्वारा दायर शपथ पत्र पर गौर किया और अपने आदेश में कहा, "कहा गया है कि जांच पूरी हो चुकी है। अभियोजन के लिए धारा 295ए के तहत सरकार से मंजूरी मिलने की प्रतीक्षा है। हम सरकार को मंजूरी देने के अनुरोध पर तुरंत फैसला करने का निर्देश देते हैं।"
कोर्ट ने तुषार गांधी की याचिका पर सुनवाई की
सुप्रीम कोर्ट की पीठ महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मामले में जल्द जांच का अनुरोध किया गया है। जस्टिस ओका पीड़ित के पिता के शपथ पत्र में किए गए दावे का उल्लेख किया कि बच्चा सदमे में है।
ताकि पीड़ित और अन्य बच्चों की काउंसलिंग हो सके
पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार के गृह विभाग की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल केएम नटराज से एनआइएमएचएएनएस (राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान) और टीआईएसएस (टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज) जैसी किसी विशेषज्ञ एजेंसी की उपलब्धता पर निर्देश लेने को कहा, जो पीड़ित के गांव जा सके और उसकी तथा अन्य स्कूली बच्चों की काउंसलिंग करे।
मामले की अगली सुनवाई छह नवंबर को होगी। शिक्षा विभाग की ओर से पेश वकील ने कहा कि मनोविज्ञानियों की तीन सदस्यीय एक समिति बनाई गई है जो बच्चे की जांच के लिए उसके घर गई है।
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