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Hindenburg Report: अदाणी समूह के शेयरों के मामलों में छह संस्थाओं की होगी जांच, SC पैनल ने दी जानकारी

सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने बताया कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने से पहले ही चार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) सहित छह संस्थाएं अदाणी समूह के शेयरों में संदिग्ध व्यापार के लिए जांच के दायरे में हैं। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में इसे कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला करार दिया है।

By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Sun, 21 May 2023 02:23 PM (IST)
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Hindenburg Report: अदाणी समूह के शेयरों के मामले में छह संस्थाओं की होगी जांच, SC पैनल ने दी जानकारी
नई दिल्ली, एजेंसी। हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने से पहले चार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) सहित छह संस्थाएं अदाणी समूह के शेयरों में संदिग्ध व्यापार के लिए जांच के दायरे में हैं।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति ने इसकी जानकारी दी है। 178 पेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने से पहले अदाणी के शेयरों में शॉर्ट पोजिशन का निर्माण हुआ, जिसके बाद पर्याप्त मुनाफा दर्ज किया गया था।

'कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला'

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में इसे 'कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला' करार दिया है। 24 जनवरी को हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पब्लिश होने के बाद अदाणी समूह के शेयरों में गिरावट आई थी। रिपोर्ट के जारी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च को विशेषज्ञ समिति का गठन किया और कहा कि अगर शेयर की कीमतों में हेरफेर की गई थी, तो इसकी जांच की जाएगी।

क्या कहती है एक्सपर्ट पैनल

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एएम सप्रे की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति ने मार्च 2000 और दिसंबर 2022 के बीच अदाणी समूह की कंपनियों की कीमतों में तेज वृद्धि और 24 जनवरी के बाद उनके मंदी के दौरान कोई नियामक विफलता नहीं पाई।

जांच के दायरे में छह संस्था

रिपोर्ट में कहा गया है कि छह संस्थाओं को जांच के दायरे में रखा गया है। विशेषज्ञ समिति ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट से पहले अडानी के शेयरों में इन संस्थाओं द्वारा शॉर्ट पोजीशन बनाने और 24 जनवरी को रिपोर्ट के पब्लिश होने के बाद उनके शॉर्ट पोजीशन को कम करके उनके द्वारा अर्जित पर्याप्त लाभ के कारण यहां ट्रेडिंग पैटर्न संदिग्ध है।

छह संस्थाओं के व्यापार के संबंध में विस्तृत जांच की जा रही है। समिति यह सुनिश्चित करना चाहती है कि जांच लंबित होने पर सेबी सहित संबंधित पक्षों की स्थिति से किसी भी तरह से समझौता नहीं किया जाए। ये मामले जांच के अधीन हैं।

6 सदस्यों का पैनल

सुप्रीम कोर्ट ने जिस पैनल का गठन किया है उसकी अध्यक्षता रिटायर्ड जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने किया है। इसके अलावा इस समिति में जस्टिस जेपी देवधर, केवी कामथ, नंदन नीलकेणी, ओपी भट्ट और सोमशेखर सुंदरेशन थे।