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Supreme Court: 'न्यायपालिका को 'ध्वजवाहक' बनना होगा, राष्ट्र के साथ चलना होगा', सुप्रीम कोर्ट ने कहा- भेदभाव खत्म करना होगा

शीर्ष अदालत ने कहा कि न्यायपालिका कोध्वजवाहक बनना होगा और राष्ट्र के साथ चलना होगा। महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का विरोध करने पर आइसीजी को कड़ी फटकार लगाते हुए प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने थलसेना वायुसेना और नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने पर शीर्ष अदालत के फैसलों का जिक्र किया और बोले भेदभाव खत्म करना होगा।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Tue, 09 Apr 2024 06:00 AM (IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- भेदभाव खत्म करना होगा
 पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शार्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) अधिकारी के रूप में सेवामुक्त हुई एक महिला अधिकारी के साथ व्यवहार को लेकर सोमवार को भारतीय तटरक्षक बल (आइसीजी) को फटकार लगाई और आदेश दिया कि अधिकारी को फिर से सेवा में शामिल किया जाए।

शीर्ष अदालत ने कहा कि न्यायपालिका कोध्वजवाहक बनना होगा और राष्ट्र के साथ चलना होगा।महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का विरोध करने पर आइसीजी को कड़ी फटकार लगाते हुए प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने थलसेना, वायुसेना और नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने पर शीर्ष अदालत के फैसलों का जिक्र किया और कहा कि भेदभाव खत्म करना होगा।

राष्ट्र के साथ चलना होगा

पीठ ने कहा,हमें ध्वजवाहक बनना होगा और राष्ट्र के साथ चलना होगा। पहले महिलाएं बार में शामिल नहीं हो सकती थीं, फाइटर पायलट नहीं बन सकती थीं। शीर्ष अदालत ने आइसीजी को प्रियंका त्यागी को बल में वापस लेने का आदेश देते हुए कहा, क्या आप लोग अपनी महिला अधिकारियों के साथ इसी तरह का व्यवहार करते हैं?

पीठ ने सुनाया अहम फैसला

पीठ ने आइसीजी को प्रियंका त्यागी को उस पद पर फिर से लेने का निर्देश दिया, जिस पर वह 2023 में सेवा से मुक्त होने की तारीख पर थीं। आदेश में कहा गया, अगले आदेश तक याचिकाकर्ता को उसकी योग्यता के अनुरूप महत्वपूर्ण पदस्थापना दी जाए। शीर्ष अदालत ने त्यागी की लंबित याचिका को भी दिल्ली हाई कोर्ट से अपने पास स्थानांतरित कर लिया। त्यागी ने आइसीजी की पात्र महिला शार्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन की मांग की है।

पीठ अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी की इस दलील से सहमत नहीं थी कि आइसीजी की तुलना थलसेना, नौसेना और वायुसेना से करना गलत है। अटार्नी जनरल ने कहा कि वह लैंगिक समानता के विरोधी नहीं हैं और केवल मामले के तथ्यों एवं बदलाव के लिए बल की तैयारियों का जिक्र कर रहे हैं। प्रधान न्यायाधीश का पूर्व में कहना था, ऐसा बताया गया था कि महिलाएं नौसेना में शामिल होने के लिए उपयुक्त नहीं हैं क्योंकि नौसेना में महिलाओं के लिए शौचालय नहीं थे, लेकिन वे अब नौसेना में शामिल हो गई हैं।

तटरक्षक बल में स्थायी कमीशन दिया जाए

आइसीजे का पीठ से कहना था कि शार्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों से संबंधित वर्तमान भर्ती नियमों के तहत महिला अधिकारी स्थायी कमीशन की मांग नहीं कर सकतीं। यह उल्लेख करते हुए कि महिलाओं को अलग नहीं रखा जा सकता, पीठ ने केंद्र से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि उन्हें तटरक्षक बल में स्थायी कमीशन दिया जाए।

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता एकमात्र शार्ट सर्विस कमीशन महिला अधिकारी है जिसने स्थायी कमीशन का विकल्प चुना और पूछा कि उसके मामले पर विचार क्यों नहीं किया गया। पीठ ने कहा, अब, तटरक्षक बल को एक नीति बनानी चाहिए।