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सुप्रीम कोर्ट ने केद्र को दिया झटका, राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर संविधान पीठ करेगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (12 सितंबर) को भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत राजद्रोह के प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को पांच जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया। वहीं कोर्ट ने राजद्रोह कानून की वैधता की जांच को स्थगित करने के केंद्र के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने सुनवाई की।

By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Tue, 12 Sep 2023 01:33 PM (IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने दिया केद्र को झटका (फाइल फोटो)
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (12 सितंबर) को भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत राजद्रोह के प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को पांच जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया। वहीं, कोर्ट ने राजद्रोह कानून की वैधता की जांच को स्थगित करने के केंद्र के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले को बड़ी पीठ के पास भेजने के केंद्र के अनुरोध को अस्वीकार कर लिया क्योंकि संसद दंड संहिता के प्रावधानों को फिर से लागू करने की प्रक्रिया में है।

सीजेआई के सामने कागजात पेश करने का निर्देश

सुनवाई करने वाली पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे। उन्होंने शीर्ष कोर्ट की रजिस्ट्री को सीजेआई के सामने कागजात पेश करने का निर्देश दिया ताकि "कम से कम पांच जजों की बेंच" वाली पीठ के गठन के लिए प्रशासनिक पक्ष पर सही निर्णय लिया जा सके।

संविधान पीठ फैसले की समीक्षा करेगा

दरअसल, देशद्रोह की धारा 124A को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ सुनवाई करेगी। सीजेआई की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय बेंच ने मामले को संविधान पीठ को भेजा है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 1962 में केदारनाथ सिंह बनाम बिहार सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने देशद्रोह की धारा 124A को संवैधानिक करार दिया था। संविधान पीठ उस फैसले की समीक्षा करेगा।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के उस आग्रह को ठुकरा दिया जिसमें सरकार ने अनुरोध कर दिया कि फिलहाल इस मामले की सुनवाई टाल दी जाए क्योंकि यह मामला स्टैंडिंग कमेटी के पास है।

पिछले मीने 11 अगस्त को भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम विधेयकों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पेश किया था। ये विधेयक अंग्रेजों के बनाए कानूनों इंडियन पीनल कोड (IPC), क्रिमिनल प्रोसिजर कोड (CrPC) और इंडियन एविडेंस एक्ट (Evidence Act) की जगह लाए गए हैं।