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सामुदायिक रसोई पर निर्देश देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, कहा- केंद्र और राज्य कई कल्याणकारी योजनाएं चल रहे

सुप्रीम कोर्ट ने भूख और कुपोषण से निपटने के लिए सामुदायिक रसोई स्थापित करने की योजना बनाने की मांग वाली याचिका पर कोई भी निर्देश देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) और अन्य कल्याणकारी योजनाएं केंद्र और राज्यों द्वारा जारी है। कोर्ट ने कहा वैकल्पिक कल्याण योजनाओं को लागू करने के लिए राज्यों केंद्र शासित प्रदेशों के लिए विकल्प खुला है।

By Jagran News Edited By: Abhinav AtreyUpdated: Thu, 22 Feb 2024 07:47 PM (IST)
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सामुदायिक रसोई पर निर्देश देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार। (फाइल फोटो)

 पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भूख और कुपोषण से निपटने के लिए सामुदायिक रसोई स्थापित करने की योजना बनाने की मांग वाली याचिका पर कोई भी निर्देश देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) और अन्य कल्याणकारी योजनाएं केंद्र और राज्यों द्वारा जारी है।

जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने कहा कि वैकल्पिक कल्याण योजनाओं को लागू करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए विकल्प खुला है। कोर्ट ने कहा कि लोगों को किफायती मूल्य पर पर्याप्त मात्रा में भोजन की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्यों द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और अन्य कल्याणकारी योजनाएं लागू की जा रही हैं। हम इस संबंध में कोई और निर्देश जारी करने का प्रस्ताव नहीं करते हैं।

जनहित याचिका पर आया फैसला

सुप्रीम कोर्ट का फैसला सामाजिक कार्यकर्ता अनिल धवन, ईशान सिंह और कुंजन सिंह द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर आया, जिसमें भूख और कुपोषण से निपटने के लिए सामुदायिक रसोई के लिए एक योजना तैयार करने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश देने की मांग की गई थी।

कई बच्चे हर दिन भूख और कुपोषण के कारण मरते हैं

याचिका में आरोप लगाया गया था कि पांच साल से कम उम्र के कई बच्चे हर दिन भूख और कुपोषण के कारण मर जाते हैं और यह स्थिति नागरिकों के भोजन और जीवन के अधिकार सहित विभिन्न मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

केंद्र को निर्देश देने की भी मांग

इसने सार्वजनिक वितरण योजना के दायरे से बाहर आने वाले लोगों के लिए एक राष्ट्रीय खाद्य ग्रिड बनाने और भूख से संबंधित मौतों को कम करने के लिए एक योजना तैयार करने के लिए राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (एनएलएसए) को आदेश जारी करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की भी मांग की थी।

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