'हस्तक्षेप का मतलब चुनाव प्रक्रिया को रोकना होगा', SC का पूर्व भाजपा उम्मीदवार की याचिका पर विचार करने से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूर्व आईपीएस अधिकारी देबाशीष धर की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। पुलिस अफसर के पद से इस्तीफा देकर लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए राजनीति में आए देबाशीष का नामांकन चुनाव आयोग ने तकनीकी कारणों से रद्द कर दिया है। भाजपा ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्हें टिकट दिया था।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूर्व आईपीएस अधिकारी देबाशीष धर की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। पुलिस अफसर के पद से इस्तीफा देकर लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए राजनीति में आए देबाशीष का नामांकन चुनाव आयोग ने तकनीकी कारणों से रद्द कर दिया है।
भाजपा ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्हें टिकट दिया था। उन्होंने अपना नामांकन पत्र रद्द करने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। दरअसल, भाजपा उम्मीदवार के रूप में देबाशीष धर का नामांकन पत्र 'नो ड्यूज़ सर्टिफिकेट' प्रस्तुत करने में विफल रहने के बाद रद्द कर दिया गया था।
हस्तक्षेप का मतलब चुनाव प्रक्रिया को रोकना होगा
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि इस स्तर पर किसी भी हस्तक्षेप का मतलब चुनाव प्रक्रिया को रोकना होगा, जो वह करने के लिए इच्छुक नहीं है।बिना किसी भेदभाव के इरादे से काम किया- अधिकारी
शीर्ष कोर्ट ने रिटर्निंग अधिकारी द्वारा धर के खिलाफ किसी भी पूर्वाग्रह की बात को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। अधिकारी ने कहा कि उन्होंने बिना किसी भेदभाव के इरादे से काम किया है।
शीर्ष कोर्ट ने केस को खारिज किया
वहीं, धर की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील निधेश गुप्ता ने कहा कि नामांकन रद्द करते समय धर से कोई मांग नहीं की गई थी। वकील गुप्ता ने कोर्ट से केस वापस लेने और चुनाव आयोग से संपर्क करने की अनुमति मांगी। शीर्ष कोर्ट ने केस वापस ले लिया गया मानकर इसे खारिज कर दिया।भाजपा राज्य नेतृत्व ने अपने पुराने कार्यकर्ता देबतनु भट्टाचार्य को बीरभूम से लोकसभा प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कराया है।
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