खाड़ी देशों के लिए अधिक यात्रा किराया संबंधी याचिका पर विचार करने से Supreme Court का इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने दुबई से कोच्चि और तिरुअनंतपुरम जैसे गंतव्यों के लिए अत्यधिक हवाई किराए का आरोप लगाने वाली याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया है। याचिका में कहा गया है कि एयरलाइन कंपनियां किराया बढ़ाकर भारतीय यात्रियों को दंडित कर रही हैं जबकि विदेश यात्रा का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित सम्मान और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का एक अभिन्न अंग है।
By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Thu, 28 Sep 2023 08:34 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआई। सुप्रीम कोर्ट ने दुबई से कोच्चि और तिरुअनंतपुरम जैसे गंतव्यों के लिए अत्यधिक हवाई किराए का आरोप लगाने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने जनहित याचिका दायर करने वाले केरल प्रवासी एसोसिएशन (केपीए) से अपनी शिकायतों के साथ केरल हाई कोर्ट जाने को कहा।
याचिका में क्या कहा गया है?
याचिका में कहा गया है कि एयरलाइन कंपनियां किराया बढ़ाकर भारतीय यात्रियों को दंडित कर रही हैं, जबकि विदेश यात्रा का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित सम्मान और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का एक अभिन्न अंग है।
भारतीय विमानन अधिनियम के नियम -135 को दी गई है चुनौती
केपीए की ओर से उपस्थित अधिवक्ता कुरियाकोस वर्गीस और वी श्याममोहन के माध्यम से दायर याचिका में भारतीय विमानन अधिनियम के नियम -135 को चुनौती दी गई है, जो एयरलाइंस को टिकट की कीमतें तय करने का अधिकार देता है।यह भी पढ़ेंः लोकतंत्र को कमजोर करते निराधार आरोप, शीर्ष अदालत के फैसलों पर सवाल उठाना विधि के शासन को चुनौती देने जैसा
इसमें कहा गया है कि एयरलाइन को टैरिफ तय करने की शक्ति दी गई है, क्योंकि टैरिफ निर्धारण पर कोई दिशानिर्देश या स्पष्टता नहीं है। एसोसिएशन ने एयरलाइन कंपनियों की कार्रवाई के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में भी इसी तरह की याचिका दायर की थी।