भीमा कोरेगांव हिंसा : SC ने आनंद तेलतुंबड़े के खिलाफ FIR रद करने से किया इन्कार
भीमा कोरेगांव हिंसा (Bhima Koregaon Violence) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आनंद तेलतुंबड़े के खिलाफ हुई एफआइआर को रद करने से मना कर दिया है।
By Arti YadavEdited By: Updated: Mon, 14 Jan 2019 12:00 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। Bhima Koregaon Case, भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आनंद तेलतुंबड़े (Anand Teltumbde) के खिलाफ हुई एफआइआर को रद करने से मना कर दिया है, हालांकि कोर्ट ने उन्हें जमानत के लिए 4 हफ्ते का वक्त दिया है। चीफ जस्टिस ने कहा, 'जांच का दायरा लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में कार्रवाई रोकना जरूरी नहीं है'।
बता दें कि बांबे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने भीमा कोरेगाव हिंसा (Bhima Koregaon Case) के आरोपी एक्टिविस्ट आनंद तेलतुंबड़े की याचिका खारिज कर दी थी। तेलतुंबड़े ने इस मामले में उन पर लगे एफआइआर को हटाने की मांग की थी। हालांकि हाई कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर लगी रोक को तीन हफ्ते के लिए बढ़ा दिया था और कहा था कि इस दौरान वह उच्चतम न्यायालय से संपर्क कर सकते हैं।माओवादियों से संबंध रखने के आरोप
गौरतलब है कि आनंद तेलतुंबड़े पर पुणे पुलिस ने माओवादियों से संबंध रखने के आरोप लगाए थे। इस मामले में पुणे पुलिस ने आनंद तेलतुंबड़े के गोवा स्थित घर पर छापेमारी भी की थी और उन्हें संदेह के घेरे में रखा है। आनंद ने सभी आरोपों से इन्कार किया था और दावा किया कि उन्हें इस मामले में फंसाया गया है और उनके पास इसका पर्याप्त सबूत है।
गौरतलब है कि आनंद तेलतुंबड़े पर पुणे पुलिस ने माओवादियों से संबंध रखने के आरोप लगाए थे। इस मामले में पुणे पुलिस ने आनंद तेलतुंबड़े के गोवा स्थित घर पर छापेमारी भी की थी और उन्हें संदेह के घेरे में रखा है। आनंद ने सभी आरोपों से इन्कार किया था और दावा किया कि उन्हें इस मामले में फंसाया गया है और उनके पास इसका पर्याप्त सबूत है।
बांबे हाई कोर्ट ने बताया गहरी साजिश
एलगार परिषद-भीमा कोरेगांव हिंसा मामले को बांबे हाई कोर्ट ने गहरी साजिश बता चुका है है। इस साजिश का परिणाम अत्यंत गंभीर है। इस मामले कई माओवादी समर्थकों की पुणे पुलिस जांच कर रही है। जस्टिस बीपी धर्माधिकारी और जस्टिस एसवी कोटवाल की खंडपीठ ने मामले के आरोपितों में से एक आनंद तेलतुंबड़े की याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की। पीठ ने कहा कि अपराध गंभीर है।साजिश गहरी है और उसका परिणाम अत्यंत गंभीर है। साजिश की प्रकृति और प्रभाव पर विचार करते हुए जांच एजेंसी को आरोपी के खिलाफ सुबूत जुटाने के लिए पर्याप्त समय दिए जाने की जरूरत है। जांच पर संतोष व्यक्त करते हुए पीठ ने कहा कि पुणे पुलिस के पास आनंद के खिलाफ पर्याप्त सामग्री है और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप आधारहीन नहीं हैं।
एलगार परिषद-भीमा कोरेगांव हिंसा मामले को बांबे हाई कोर्ट ने गहरी साजिश बता चुका है है। इस साजिश का परिणाम अत्यंत गंभीर है। इस मामले कई माओवादी समर्थकों की पुणे पुलिस जांच कर रही है। जस्टिस बीपी धर्माधिकारी और जस्टिस एसवी कोटवाल की खंडपीठ ने मामले के आरोपितों में से एक आनंद तेलतुंबड़े की याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की। पीठ ने कहा कि अपराध गंभीर है।साजिश गहरी है और उसका परिणाम अत्यंत गंभीर है। साजिश की प्रकृति और प्रभाव पर विचार करते हुए जांच एजेंसी को आरोपी के खिलाफ सुबूत जुटाने के लिए पर्याप्त समय दिए जाने की जरूरत है। जांच पर संतोष व्यक्त करते हुए पीठ ने कहा कि पुणे पुलिस के पास आनंद के खिलाफ पर्याप्त सामग्री है और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप आधारहीन नहीं हैं।