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‘भाषा को संरक्षित करने के ल‍िए...,' SC ने सिंधी में दूरदर्शन चैनल की मांग वाली याचिका की खारिज; क्‍या कहा?

दूरदर्शन पर 24 घंटे सिंधी भाषा का चैनल शुरू करने की मांग की गई थी। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिस पर सोमवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र सरकार को ऐसा कोई निर्देश देने ने इनकार कर दिया। SC ने कहा कि भाषा को संरक्षित करने के अन्य तरीके भी हो सकते हैं।

By Jagran News Edited By: Versha Singh Updated: Tue, 15 Oct 2024 11:43 AM (IST)
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SC ने सिंधी में दूरदर्शन चैनल की मांग वाली याचिका की खारिज (फाइल फोटो)

पीटीआई, नई दिल्ली। दूरदर्शन पर 24 घंटे सिंधी भाषा का चैनल शुरू करने की मांग वाली याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र सरकार को ऐसा कोई निर्देश देने ने इनकार कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिक खारिज कर दी। बता दें कि एनजीओ सिंधी संगत की ओर से यह याचिका की गई थी।

भाषा को संरक्षित करने के और भी तरीके हो सकते हैं- SC

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भाषा को संरक्षित करने के अन्य तरीके भी हो सकते हैं। एनजीओ की ओर से पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जय सिंह ने कहा कि भाषा को संरक्षित करने का एक तरीका सार्वजनिक प्रसारण है।

हाई कोर्ट ने 27 मई को एनजीओ की याचिका खारिज कर दी थी, जिसे उसने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया था कि प्रसार भारती का 24 घंटे सिंधी भाषा का चैनल शुरू न करने का निर्णय भेदभाव पर आधारित है। इसलिए हाई कोर्ट के फैसले को रद कर देना चाहिए।

न्यायालय ने सिंधी संगत द्वारा दायर याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कोई भी नागरिक संविधान के अनुच्छेद 29 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकार के आधार पर यह दावा नहीं कर सकता कि सरकार को उनकी भाषा में एक अलग चैनल शुरू करना चाहिए।

याचिकाकर्ता ने खटखटाया था SC का दरवाजा

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा, सिंधी आबादी की भाषा के संरक्षण के लिए अनुच्छेद 29 के तहत जिस अधिकार का दावा किया गया है, उसका परिणाम किसी विशेष भाषा के लिए अलग भाषा चैनल शुरू करने के लिए पूर्ण या अपरिवर्तनीय अधिकार के रूप में नहीं हो सकता।

दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ और खंडपीठ दोनों ने याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

पीठ ने कहा था कि अलग भाषा चैनल शुरू करने के लिए आदेश जारी नहीं किया जा सकता। सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए कारण "अपवाद रहित" हैं।

जैसे ही मामला सुनवाई के लिए आया, सीजेआई चंद्रचूड़ ने याचिका पर विचार करने में अनिच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि यह नीतिगत मामला है।

सीजेआई ने दूरदर्शन द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष दिए गए बयान पर भी प्रकाश डाला कि वह तीन डीडी चैनलों - डीडी गिरनार, डीडी सह्याद्री और डीडी राजस्थान में सिंधी कार्यक्रम चला रहा है, जो उन क्षेत्रों में प्रसारित किए जाते हैं जहां सिंधी आबादी मुख्य रूप से रहती है।

सीजेआई ने प्रतिवादियों के इस रुख का भी उल्लेख किया कि लगभग 26 लाख की छोटी आबादी के लिए एक अलग चैनल चलाना टिकाऊ नहीं है, क्योंकि इसकी वार्षिक परिचालन लागत लगभग 20 करोड़ रुपये है।

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