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Supreme Court: धर्म के नाम पर पशु बलि रोकने की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

Supreme Court on Animal Sacrifice पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के एक प्रविधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। ये अधिनियम धार्मिक उद्देश्यों के लिए किसी भी जानवर को मारने की अनुमति देता है। याचिका में तर्क दिया गया कि प्रत्येक नागरिक पर जीवित प्राणियों के प्रति दया रखना संवैधानिक दायित्व है।

By AgencyEdited By: Mahen KhannaUpdated: Sat, 08 Jul 2023 07:55 AM (IST)
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Supreme Court on Animal Sacrifice पशु क्रूरता निवारण अधिनियम को चुनौती वाली याचिका खारिज।
नई दिल्ली, प्रेट्र। Supreme Court on Animal Sacrifice सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के एक प्रविधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, जो धार्मिक उद्देश्यों के लिए किसी भी जानवर को मारने की अनुमति देता है।

पशु बलि रोकने के निर्देश देने की थी मांग

याचिका में तर्क दिया गया कि संविधान में अनुच्छेद 51 ए को शामिल करने के बाद पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 28 जारी नहीं रह सकती है क्योंकि प्रत्येक नागरिक पर जीवित प्राणियों के प्रति दया रखना संवैधानिक दायित्व है। इसमें धर्म के नाम पर पशु बलि रोकने के निर्देश देने की मांग की गई है।

मुख्य न्यायाधीश ने कही ये बात

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि 2017 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने में 358 दिनों की देरी हुई। इसलिए, उठाए गए कानून के सवाल पर कोई राय व्यक्त किए बिना देरी के आधार पर विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी जाती है।

याचिकाकर्ता गोपेश्वर गौशाला समिति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन उपस्थित हुए। सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसने 2017 में समिति की याचिका खारिज कर दी थी।

याचिका में कहा गया है कि बेहद अमानवीय तरीके से जानवरों की बलि देना शालीनता, नैतिकता और सार्वजनिक हित के खिलाफ है और साथ ही संविधान के अनुच्छेद 51 ए (जी) और (एच) के सिद्धांतों का भी उल्लंघन है।